बहुत हिम्मत करके डॉक्टर साहेब से छुपते छुपाते ये पोस्ट लिखवा रहा हूँ मित्रों । पिछली आठ अक्टूबर को एक बहुत ही बेहतरीन मार्मिक पोस्ट "ज़ख्मे- दिल" पढ़ने के बाद टीप करने जा रहा था के दिल में दर्द के साथ अचानक चक्कर आ गया । बाद को वहाँ पाया गया जहाँ कोई जाना पसंद नहीं करता । एक मशीन पर कुछ ग्राफ निकालने के बाद डॉक्टर साहेब ने चिन्तायुक्त शक्ल बनाते हुए कई टेस्ट करवा डाले । एक टी ऍम टी बाकी रह गया है। मुझे घर भी नहीं जाने दे रहे यार । मेरे एक मित्र हैं बड़े अज़ीज़, उन्हीं के लेप टॉप के द्वारा, उन्हीं से टाइप करवा कर आप तक पहुँचने की कोशिश कर रहा हूँ । मुझे आप सब मुआफ़ कर देना जी, तबियत ही साथ नही दे रही । क्या करुँ ? लाल साहेब, सीमाजी, मीतजी, मिश्राजी, नीरजजी, दिनेशजी, राकेशजी, राज सिंघजी, और सभी प्रिय ब्लोग्गेर्स को मैं मिस कर रहा हूँ। पता नहीं अब तक ब्लॉगजगत में क्या कुछ हो चुका होगा ? मुझे वापस बुला लो यार आप सब लोग। अब ज्यादा बोलने की हिम्मत नहीं पड़ रही है, बस चलते चलते एक शेर कहने का दिल कर रहा है सो पेश है जी ---
या मैंने जल्द कर दी, या तूने देर जाना !
तेरा शमा जलाना, औ मेरा जहाँ से जाना !!
-----बवाल
पता नहीं अब कब सबसे मुलाक़ात होगी ? होगी भी या नहीं ऊपरवाले के हाथ सब है ।
रविवार, 12 अक्तूबर 2008
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7 टिप्पणियां:
aisi ashubh batein nahin kahni chahiye. ishwar aapko jald thik karega aur aap ham sab ke beech fir se aayenge mujhe vishwas hai.
get well soon, my best wishes.
प्रिय बवालजी,
आप चिन्ता न करें हिन्दी ब्लाग जगत के सभी लोग आपके अति शीघ्र स्वास्थ्यलाभ की कामना करते हैं ।
बवाल की बहुत ज़रूरत है बवाल भाई यहाँ. जल्द स्वस्थ हो के आयें और नए बवाल खड़े करें. हम इंतज़ार में हैं ...शुभकामनाएं.
"अर्श" साहब का एक शेर तोड़-मरोड़ के पेश है आप के लिए :
देख ऐ मालिक यही है तुझ में उस में इम्तियाज़
तेरा कब्ज़ा है जहाँ पर उस का अपने दिल पे है
भाई बबाल जी
इश्वर से प्राथना है कि आप जल्द स्वस्थ हो .
या मैंने जल्द कर दी, या तूने देर जाना !
तेरा शमा जलाना, औ मेरा जहाँ से जाना !!
" oh god, hume to ptta hee nahee tha kee aap hospital mey hain.....I wish you good luck for your early and healthy recovery, please get well soon.."
"shmaa ke sath raat ka bhee maaus hoker dhl jana,
dil se thumeh koee yaad krta hai, vapah laut ke aana.."
Regards
अरे, ये क्या हुआ?? हम चार दिन को बाहर क्या गये, ये हालत!!
नहीं चलेगी यह मायूसी और तबीयत की नासाजी..चलो, जल्दी से फिट फाट होकर अपने रंग में वापस आ जाओ..जल्दी!!
इन्तजार कर रहा हूँ, याद रखना!!
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