सैलाब चल पड़ा है, अरमाँ का उनसे मिलने !
ख़ामोश सी मोहब्बत, कर ली है जिनसे दिल ने !!
---बवाल
शुक्रवार, 31 अक्तूबर 2008
बुधवार, 29 अक्तूबर 2008
ज़रूर है ..............(दीपावली पर शुभकामनाओं सहित)
रौशन अगर न हो, तो झलकती ज़रूर है !
तक़दीर एक बार, चमकती ज़रूर है !!
सभी ब्लागर्स को
शुभ दीपावली
(यह चित्र आदरणीय सीमाजी के ब्लॉग से
चुराया गया है। हा हा ! और शेर ख़ुद चोरी छिपे इस ब्लॉग पर आकर छप गया है। किसी से ना कहना )
तक़दीर एक बार, चमकती ज़रूर है !!

शुभ दीपावली
(यह चित्र आदरणीय सीमाजी के ब्लॉग से
चुराया गया है। हा हा ! और शेर ख़ुद चोरी छिपे इस ब्लॉग पर आकर छप गया है। किसी से ना कहना )
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रविवार, 26 अक्तूबर 2008
उड़ने का था बहाना ............
जज़्बात की थी आँधी, उड़ने का था बहाना !
उनकी मोहब्बतों का, यूँ मैं बना निशाना !!
---बवाल
उनकी मोहब्बतों का, यूँ मैं बना निशाना !!
---बवाल
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शनिवार, 25 अक्तूबर 2008
जलाओगे रौशनी मिलेगी
चराग़ हैं हम, जो हमसे चाहोगे अपनी उजरत, वही मिलेगी !
बुझाओगे तीरगी मिलेगी, जलाओगे रौशनी मिलेगी !!
उजरत = मेहनताना
तीरगी = अँधेरा
बुझाओगे तीरगी मिलेगी, जलाओगे रौशनी मिलेगी !!
उजरत = मेहनताना
तीरगी = अँधेरा
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शेर
बुधवार, 22 अक्तूबर 2008
सभी तरफ़ तो बवाल है जी .......
ये राज कैसा ? वो ताज कैसा ? सभी तरफ़ तो बवाल है जी !
मगर यही है वतन भी मेरा, इसी का मुझको मलाल है जी !!
----बवाल
मगर यही है वतन भी मेरा, इसी का मुझको मलाल है जी !!
----बवाल
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मंगलवार, 21 अक्तूबर 2008
तुम्हारा दामन जला नहीं है ........(राज ठाकरे प्रसंग)
महाराष्ट्र भर में आज दिन भर हुई दुखद घटनाओं पर मासूम जनमानस का, उपद्रविओं और उनके सरपरस्त धृष्टश्री ना'राज' ठाकरे से इतना ही कहना है की -
जो आतिशे ग़म भड़क रही है, तो क्या हुआ मुत्मइन रहो तुम !
क्यूँ ? के ये आँच आई है सिर्फ़ हम पर, तुम्हारा दामन जला नहीं है !!
----आम जनता
आतिशे ग़म = ग़म की आग
मुत्मइन = चिंतामुक्त
जो आतिशे ग़म भड़क रही है, तो क्या हुआ मुत्मइन रहो तुम !
क्यूँ ? के ये आँच आई है सिर्फ़ हम पर, तुम्हारा दामन जला नहीं है !!
----आम जनता
आतिशे ग़म = ग़म की आग
मुत्मइन = चिंतामुक्त
शुक्रवार, 17 अक्तूबर 2008
जाकर के लौट आना .................. (कम-बैक)
तेरा जहाँ से जाना, जाकर के लौट आना !
साबित हुआ, के तुझको, उनसे है दिल लगाना !!
---बवाल
अब सब ठीक हो जाएगा ऐसा महसूस हो रहा है।
पूजा जी, नीरज रोहिल्ला जी, मीतजी, महेंद्र मिश्राजी, सीमाजी, समीरलाल जी आदि सभी का तहेदिल से शुक्रिया जो उन्होंने मेरे लिए दुआ की। सबके स्नेह का आभार।
क्रमशः...
साबित हुआ, के तुझको, उनसे है दिल लगाना !!
---बवाल
अब सब ठीक हो जाएगा ऐसा महसूस हो रहा है।
पूजा जी, नीरज रोहिल्ला जी, मीतजी, महेंद्र मिश्राजी, सीमाजी, समीरलाल जी आदि सभी का तहेदिल से शुक्रिया जो उन्होंने मेरे लिए दुआ की। सबके स्नेह का आभार।
क्रमशः...
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रविवार, 12 अक्तूबर 2008
......... मेरा जहाँ से जाना (हाले-बीमारे-बवाल)
बहुत हिम्मत करके डॉक्टर साहेब से छुपते छुपाते ये पोस्ट लिखवा रहा हूँ मित्रों । पिछली आठ अक्टूबर को एक बहुत ही बेहतरीन मार्मिक पोस्ट "ज़ख्मे- दिल" पढ़ने के बाद टीप करने जा रहा था के दिल में दर्द के साथ अचानक चक्कर आ गया । बाद को वहाँ पाया गया जहाँ कोई जाना पसंद नहीं करता । एक मशीन पर कुछ ग्राफ निकालने के बाद डॉक्टर साहेब ने चिन्तायुक्त शक्ल बनाते हुए कई टेस्ट करवा डाले । एक टी ऍम टी बाकी रह गया है। मुझे घर भी नहीं जाने दे रहे यार । मेरे एक मित्र हैं बड़े अज़ीज़, उन्हीं के लेप टॉप के द्वारा, उन्हीं से टाइप करवा कर आप तक पहुँचने की कोशिश कर रहा हूँ । मुझे आप सब मुआफ़ कर देना जी, तबियत ही साथ नही दे रही । क्या करुँ ? लाल साहेब, सीमाजी, मीतजी, मिश्राजी, नीरजजी, दिनेशजी, राकेशजी, राज सिंघजी, और सभी प्रिय ब्लोग्गेर्स को मैं मिस कर रहा हूँ। पता नहीं अब तक ब्लॉगजगत में क्या कुछ हो चुका होगा ? मुझे वापस बुला लो यार आप सब लोग। अब ज्यादा बोलने की हिम्मत नहीं पड़ रही है, बस चलते चलते एक शेर कहने का दिल कर रहा है सो पेश है जी ---
या मैंने जल्द कर दी, या तूने देर जाना !
तेरा शमा जलाना, औ मेरा जहाँ से जाना !!
-----बवाल
पता नहीं अब कब सबसे मुलाक़ात होगी ? होगी भी या नहीं ऊपरवाले के हाथ सब है ।
या मैंने जल्द कर दी, या तूने देर जाना !
तेरा शमा जलाना, औ मेरा जहाँ से जाना !!
-----बवाल
पता नहीं अब कब सबसे मुलाक़ात होगी ? होगी भी या नहीं ऊपरवाले के हाथ सब है ।
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क़ब्ल-अज़-ग़ज़ल
मंगलवार, 7 अक्तूबर 2008
है तो सही !
उस निगाहे-तीर का, कुछ दिल पे असर है तो सही !
दर्द कम है या के ज्यादा, हाँ हाँ मगर है तो सही !!
----बवाल
दर्द कम है या के ज्यादा, हाँ हाँ मगर है तो सही !!
----बवाल
शुक्रवार, 3 अक्तूबर 2008
दर्द उनका, अश्क बनकर.......
दर्द उनका, अश्क बनकर, वाँ गिरा वो काँ मिला ?
ढूँढ़ते तो सब रहे, पर आख़िर हमको याँ मिला !!
-----बवाल
ढूँढ़ते तो सब रहे, पर आख़िर हमको याँ मिला !!
-----बवाल
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शेर
जागने-जगाने (उड़नतश्तरी) पर ......
चिर सजग आँखें उनींदी, आज कैसा व्यस्त बाना ?
जाग तुझको दूर जाना ...
-----महादेवी वर्मा
जागते रहिये, ज़माने को जगाते रहिये !
रात क्या, दिन में भी अब गश्त लगाते रहिये !!
----नीरज
और आख़िर में --
हमको तो जागना है तेरे, इंतज़ार में !
आई हो जिसको नींद वो सोये (बहार) में !!
----हाँ मालूम
जाग तुझको दूर जाना ...
-----महादेवी वर्मा
जागते रहिये, ज़माने को जगाते रहिये !
रात क्या, दिन में भी अब गश्त लगाते रहिये !!
----नीरज
और आख़िर में --
हमको तो जागना है तेरे, इंतज़ार में !
आई हो जिसको नींद वो सोये (बहार) में !!
----हाँ मालूम
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शेर
और नीरजजी की ग़जल के मक्ते से ससम्मान ......
क्या ख़बर हिस्से में अब कितनी बची है, जिंदगी ?
इसलिए बेखौफ़ करता हूँ मैं तेरी बन्दगी !!
----नीरज
----......
इसलिए बेखौफ़ करता हूँ मैं तेरी बन्दगी !!
----नीरज
----......
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बाद-अज़-ग़ज़ल
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