मंगलवार, 9 अगस्त 2011

सावन झमाझम उमंग मेरा झूलना



सावन झमाझम, उमंग मेरा झूलना
हरियाली सखियाँ, सतरंग मेरा झूलना

पहला झूला-झूला मैनें बाबुल के राज में,
मैया की लोरी के संग मेरा झूलना

दूजा झूला-झूला मैनें भैया के राज में,
भौजी के रंगों में भंग मेरा झूलना

तीजा झूला-    झूला, ससुर जी के राज में,
सासू माँ का ढम ढम, मृदंग मेरा झूलना

 सबसे प्यारा झूला-झूला सैंया के राज में,
रस की फुहारें, तरंग मेरा झूलना

---बवाल

सोमवार, 18 जुलाई 2011

हुस्ने-क़ुद्रत

मैं हुस्ने-क़ुद्रत बयाँ करूँ क्या ?

असर में होशो-हवास खोया !

नज़ारे जन्नत के इस ज़मीं पर,

सभी हैं मेरे ही पास गोया !!

--- बवाल





मंगलवार, 10 मई 2011

मातृ दिवस पर भी देर से.......


ढूँढता रब को फिरा हूँ, इस जहाँ से उस जहाँ
भूल बैठा था कि रब का, रुप ही होती है माँ!

आदतन इस बात को भी, देर से जाना है मैने!

-समीर लाल ’समीर’

गुरुवार, 5 मई 2011

मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता.....




बाबू जी ने गर इतनी जायदाद को छोड़ा नहीं होता
मेरे अपने भाई ने कभी,मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता..

जोड़ दे जो मकान में आई ऐसी दरारें भी सीमेन्ट से....
ढूँढता हूँ मैं बेकरार हो, आज ऐसे किसी ठेकेदार को!!!


-समीर लाल ’समीर’

शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

कटाक्षे-आज़म डॉ. कुमार विश्वास (जी) के जबलपुर में कार्यक्रम पर उनके ब्रैकेट में सम्मान में...........

बे‍अदबज़बानी, लम्पटता के क़ब्ज़े में ही आलम था

वो साबुत लौट के इसकर गए, के सब्र हमारा क़ाइम था

--- बवाल

गुरुवार, 6 जनवरी 2011

मौत का टुम्मा (रसीद)

मौत ने तारीख़ तय कर,  उसपे टुम्मा कर दिया

हमने भी इसकर के फ़ौरन, मय पे चुम्मा कर दिया

----बवाल

टुम्मा  =  रसीद 
मय  =  शराब या भक्तिरस, आप जो भी मान लें