सोमवार, 6 अप्रैल 2009

अलग रही है.............(बवाल)

जो बख़्ते-खुफ़्त: सी लग रही है,
वो रफ़्त: रफ़्त: सुलग रही है !
मेरी कहानी ज़माने वालों,
अज़ल से ही कुछ अलग रही है !!
---बवाल
बख़्ते-खुफ़्त: = सोया हुआ भाग्य
रफ़्त: रफ़्त: = आहिस्ता आहिस्ता
अज़ल = अनादिकाल

29 टिप्‍पणियां:

नितिन | Nitin Vyas ने कहा…

वाह!

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

क्या बात है!
इतने दिन कहाँ थे?

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

मेरी कहानी ज़माने वालों,
अज़ल से ही कुछ अलग रही है !!..
बहुत सुंदर ,उम्दा लाइनें लगी .

seema gupta ने कहा…

जो बख़्ते-खुफ़्त: सी लग रही है,
वो रफ़्त: रफ़्त: सुलग रही है
"सच यही होता है...."
Regards

"अर्श" ने कहा…

बड़े भी को सलाम,
क्या खूब कही आपने इस बारगी भी.. रफ्त: रफ्त: .... ये शब्द ही कमाल का है ... आपने जिस खूबसूरती से इसका प्रयोग किया है वो भी कमाल का है...कल ही एक मशहूर ग़ज़ल सुन रहा था जनाब मेहदी हसन की आवाज़ में रफ्त: रफ्त: वो मेरे हस्ती के सामां हो गए .....

ये शब्द मुझे बहोत पसंद है ...बधाई आपको..

अर्श

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत उम्दा!!!

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत खूब ..बढ़िया लगा यह

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Bahut khoob

Prem Farukhabadi ने कहा…

bahut achchhe ,vabaal bhai.

jamos jhalla ने कहा…

Mahaz bawaal ho,kawwaal ho yaa phir vakiljaal ho.In sabki kahaaniyaan kuch hatke hi hoti rahin hain.Isiliyekamaal ke is bawaal ke kalaam ko jhalee ka salaam.

समयचक्र ने कहा…

बहुत बढिया...

गौतम राजऋषि ने कहा…

क्या अंदाज़ है वकील साब ...भई वाह

महावीर ने कहा…

बहुत ख़ूब!

Divya Narmada ने कहा…

gagar men sagar

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

बख्ते-खुफ्त: को जगाने वाले
रफ्त: रफ्त: सुलगाने वाले
आपकी कहानी बनाने की आदत
अज़ल से जमाने से अलग रही है.


नमस्कार

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

बहुत बढिया!!, वाह!, क्या बात है!, बहुत उम्दा!!!, बहुत खूब .., Bahut खूब, bahut achchhe , क्या अंदाज़ है , यदि आप वाकई ऐसी ही टिप्पणियों से खुश हैं तो मैं भी कह देता हूँ एक साथ यही सब !!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!........
- विजय

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

ज्‍यादा कुछ नही कहूँगा


सूचना
यह पोस्‍ट आपसे सम्‍बन्धित है इस लिये भेज रहा हूँ
http://pramendra.blogspot.com/2009/04/blog-post_14.html

Urmi ने कहा…

आप का ब्लोग मुझे बहुत अच्छा लगा और आपने बहुत ही सुन्दर लिखा है ! मेरे ब्लोग मे आपका स्वागत है !

Science Bloggers Association ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
RAJ SINH ने कहा…

MIJAJE 'KAISH' YARON BACHPANE SE AASHIKANA THA .
AJAL SE HEE RAHEE AADAT KI VO BAWWAL KATEGA ?

Divya Narmada ने कहा…

बोलती है नज़र तेरी, क्या रहा पीछे कहाँ?

देखती है जुबान लेकिन, क्या 'सलिल' खोया कहाँ?

कोई कुछ उत्तर न देता, चुप्पियाँ खामोश हैं।

होश की बातें करें क्या, होश ख़ुद मदहोश हैं।

kripaya divyanarmada.blogspot.com dekhen, teep den, rachna bhejen.



-आचार्य संजीव 'सलिल'

- दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम

Unknown ने कहा…

very nice blog.....

i have made a blog..
plz visit us my blog...
money saving....
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thank you..

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

मेरी कहानी ज़माने वालों,
अज़ल से ही कुछ अलग रही है !!..
रचना बहुत अच्छी लगी।
आप का ब्लाग भी बहुत अच्छा लगा।
हर सप्ताह रविवार को तीनों ब्लागों पर नई रचनाएं डाल रहा हूँ। हरेक पर आप के टिप्पणी का इन्तज़ार है.....
मुझे यकीन है आप के आने का...और यदि एक बार आप का आगमन हुआ फ़िर..आप तीनों ब्लागों पर बार -बार आयेंगे.........मुझे यकीन है....
संयोग से हम दोनों वकालत से जुडे़ हैं।और संगीत से भी...

Alpana Verma ने कहा…

bahut khuub!
yah bhi andaaz khuub hai.
'aap ki kahani ......azal se..!'

waah!

महावीर ने कहा…

वाह! क्या कहें? बस- निहायत ख़ूबसूरत!!!
महावीर शर्मा

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहुत सही कहा है...........चंद लाइनों में हकीकत का बयां
हमारा सलाम .................

RAJ SINH ने कहा…

बन्धु बदे दिन से गायब चल रहे हो .दुश्मनोन की तबियत खराब हो . आप तो थीक थाक हो ?

आप्के बवाल बाज़ छौन्क सिन्ह ’ तडका ’ लगाये बैथे हैं . चख जाओ यार .

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

ये जो कहानी थमीं थमी सी बढाओ आगे ओ मेरे रहबर
तभी तो होगा यकीन सबको,की ये कहानी अलग नहीं है

Science Bloggers Association ने कहा…

इतना अच्छा लिखेंगे, तो आपके चाहने वाले बवाल काटने से क्यों पीछे रहेंगे।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }