कुछ ऐसी तसव्वुर की, महफ़िल सजाएँ
जहाँ हों वहीं से, उन्हें खैंच लाएँ
क़व्वाले-आज़म तहज़ीबिस्तान
चचा लुक़्मान
हमारे उस्ताद की जयंती
१४ जनवरी १९२५ (मकर संक्राति) पर
उन्हें शत् शत् नमन
(महाप्रयाण :- २७ जुलाई २००२)
पद्मश्री पंडित भवानी प्रसाद तिवारी जी की इन पंक्तियों के साथ
मधुर बीन तेरी स्वरित तार मेरे
बहुत जोड़ता हूँ, नहीं जोड़ पाता
और
हमारे श्रद्धासुमन
चोटों पे चोट खाना, खाकर वो भूल जाना
मुझे मुआफ़ करते करते, अल्लाह बन न जाना
एहले ज़बाँ का मुझको, वो इल्म ना हो शायद
तेरी कहन को लेकिन, हूँ जानता निभाना
---बवाल