शुक्रवार, 4 जुलाई 2008

उड़नतश्तरी वाले समीर लाल जी की लेटेस्ट पोस्ट पर टिप्पणि

लाल मदारी डुग-डुग लेकर, खेल दिखाने आता है !
खेल-खेल में बड़ी-बड़ी बातें, कर जाने आता है !
हाँ बतलाने, हाँ गिनवाने, हाँ मिलवाने आता है !

हिक़मत, हिम्मत, हैरत से हँस-रंग सजाने आता है !!

और इनकी आँखों के वास्ते "जोश" से --

ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज़, ये निगाहें !
आख़िर तुम्हीं बताओ, क्यूँकर न तुमको चाहें ?

5 टिप्‍पणियां:

डा. अमर कुमार ने कहा…

मदारी ?
डुगडुगी..?
व्याख्या की आवश्यकता है ।

संजय शर्मा ने कहा…

सही में ववाल है जी !

समयचक्र ने कहा…

सही है.

Udan Tashtari ने कहा…

लाल मदारी का डुग-डुग---जय हो!!

रज़िया "राज़" ने कहा…

वाह जी । कुछ हटके वाह!