मालिक सही कहता हूँ, आप का शेर पढ़ के ये आया दिल में :
"दर्द उनका क्या कहूँ, वो याँ रहा या वाँ रहा क्या कहूँ उस ख्वाब का क्या क्या यहाँ इम्काँ रहा तिश्नगी वो मेरी थी उन को नहीं ये कह सका क्या अजब एहसास था, जो याँ रहा न वाँ रहा"
माफ़ कीजियेगा, अभी अभी आप का पोस्ट पढ़ कर ये ज़हन में आया तो लिखा रहा हूँ .. किसी दिन इसे सही कर सकूँ और आप को पोस्ट की शक्ल में नज़र आए तो बुरा न मानियेगा.
7 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा, क्या बात है!
मालिक सही कहता हूँ, आप का शेर पढ़ के ये आया दिल में :
"दर्द उनका क्या कहूँ, वो याँ रहा या वाँ रहा
क्या कहूँ उस ख्वाब का क्या क्या यहाँ इम्काँ रहा
तिश्नगी वो मेरी थी उन को नहीं ये कह सका
क्या अजब एहसास था, जो याँ रहा न वाँ रहा"
माफ़ कीजियेगा, अभी अभी आप का पोस्ट पढ़ कर ये ज़हन में आया तो लिखा रहा हूँ .. किसी दिन इसे सही कर सकूँ और आप को पोस्ट की शक्ल में नज़र आए तो बुरा न मानियेगा.
मुबारक हो, आप को मिला।
बहुत खूब!!
दर्द उनका, अश्क़ बनकर, जो है तुमको याँ मिला !!
रखना उसको सहेज कर,सबसे छुपा समेट कर,
ऐसा न हो की तुम कहो जमाने से वो भी जाँ मिला !!
REGARDS
दर्द उनका, अश्क़ बनकर, वाँ गिरा वो काँ मिला ?
ढूँढ़ते तो सब रहे, पर आख़िर हमको याँ मिला !!
wah kaya baat kah di
bahut achha
regards
bhai babaal ji aapne to
kar diya kamal ji . umada.
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