गुरुवार, 5 मई 2011

मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता.....




बाबू जी ने गर इतनी जायदाद को छोड़ा नहीं होता
मेरे अपने भाई ने कभी,मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता..

जोड़ दे जो मकान में आई ऐसी दरारें भी सीमेन्ट से....
ढूँढता हूँ मैं बेकरार हो, आज ऐसे किसी ठेकेदार को!!!


-समीर लाल ’समीर’

24 टिप्‍पणियां:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाह सीधा दिल में उतर गया यह शेर तो ......

अजय कुमार झा ने कहा…

वाह बहुत गजब और बहुत ही कमाल ...काश कि कोई ऐसा ठेकेदार होता ...वाह रे दुनिया

विवेक सिंह ने कहा…

दे दीजिए सब भाई को ही । समझ लीजिए बाबू जी ने कुछ छोड़ा ही न था ।

Arun sathi ने कहा…

नही मिलेगा...सुन्दर

समय चक्र ने कहा…

bahut sundar bindaas ...

vijay kumar sappatti ने कहा…

sameer ji , aapne to aaj ki haqiqat kah di ...nishabd hoon

bawal bhai , is par to ke geet aapki awaz me suna jaaye

vijay

Kailash Sharma ने कहा…

दिल को छूता शेर...बहुत सुन्दर

shikha varshney ने कहा…

वाह बहुत बढ़िया.ऐसे ठेकेदार की तलाश तो जारी है.

दर्शन कौर धनोय ने कहा…

दिल को छूती हुई एक संवेदन रचना --काश कोई ऐसी सीमेंट होती ..?

राज भाटिय़ा ने कहा…

बाबू जी ने गर इतनी जायदाद को छोड़ा नहीं होता
मेरे अपने भाई ने कभी,मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता..
वाह जी वाह आज का यह कडबा सच धन्यवाद

Rakesh Kumar ने कहा…

आ.समीर जी ,
आप बिलकुल भी परेशान न होईयेगा,बस मेरे ब्लॉग पर चले आइयेगा.ऐसा ठेकेदार मिलेगा 'अवध' में
कि जो दिल की दरारों को भरे ही नहीं दिलों को भी
जोड़ेगा.और फिर सब मिल कर नाचेंगें और गायेंगें
'होली खेले रघुबीरा,अवध में होली खेले रघुबीरा'.

हल्ला बोल ने कहा…

ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
आप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता
हल्ला बोल के नियम व् शर्तें

Sumit Pratap Singh ने कहा…

ऐसा ठेकेदार चाहिए तो सुमित प्रताप सिंह से संपर्क करना...

daanish ने कहा…

अब स्वयं से बढ़ कर ऐसा ठेकेदार
और कहाँ मिल पाएगा भला !!
स्थिति की वास्तविकता का
सुन्दर वर्णन !!!

Rachana ने कहा…

बाबू जी ने गर इतनी जायदाद को छोड़ा नहीं होता
मेरे अपने भाई ने कभी,मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता..
kitna sunder aur sahi kaha hai
saader
rachana

बवाल ने कहा…

क्या बात है! लाल साहब
बहुत ख़ूब बहुत बेहतर
शेर दर्ज अजब कहकर

SHIKHA KHARE ने कहा…

SIR SAHI FARMAYA GYA HAI KI AJ RISHTO ME SABSE JYADA DARAR AGAR KOI CHIJ FAIDA KAR RAHI HAI TO WO HAI DAN,SAMPATTI,JAYDAAD.YE AISI CHIJE HAIN JO APNE KHUN ME BHI DARAR DALNE KO SADIV TAIYAAR BAITHI RAHTI HAIN............SIR AAPNE BAHOT KHUB LIKHA HAI

vidhya ने कहा…

आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/

virendra sharma ने कहा…

अनुभूतियों और एहसासों का अप्रतिम विस्फोट है यह रचना .बधाई .बहुत खूब कहा है बे-लाग हो कहा है ज़माने की हकीकत को .

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) ने कहा…

यथार्थ वादी शेर.बेहतरीन.

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

ऐसा ठेकेदार कहाँ मिलता है ... अच्छी प्रस्तुति

सदा ने कहा…

वाह ...बहुत खूब कहा है ।

vandana gupta ने कहा…

आज की हकीकत मगर हर दिल के दर्द को कहती शानदार अभिव्यक्ति।

रेखा ने कहा…

आज -कल की सच्चाई बयां करती हुई...