आ.समीर जी , आप बिलकुल भी परेशान न होईयेगा,बस मेरे ब्लॉग पर चले आइयेगा.ऐसा ठेकेदार मिलेगा 'अवध' में कि जो दिल की दरारों को भरे ही नहीं दिलों को भी जोड़ेगा.और फिर सब मिल कर नाचेंगें और गायेंगें 'होली खेले रघुबीरा,अवध में होली खेले रघुबीरा'.
ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है. आप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए. समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता हल्ला बोल के नियम व् शर्तें
SIR SAHI FARMAYA GYA HAI KI AJ RISHTO ME SABSE JYADA DARAR AGAR KOI CHIJ FAIDA KAR RAHI HAI TO WO HAI DAN,SAMPATTI,JAYDAAD.YE AISI CHIJE HAIN JO APNE KHUN ME BHI DARAR DALNE KO SADIV TAIYAAR BAITHI RAHTI HAIN............SIR AAPNE BAHOT KHUB LIKHA HAI
24 टिप्पणियां:
वाह सीधा दिल में उतर गया यह शेर तो ......
वाह बहुत गजब और बहुत ही कमाल ...काश कि कोई ऐसा ठेकेदार होता ...वाह रे दुनिया
दे दीजिए सब भाई को ही । समझ लीजिए बाबू जी ने कुछ छोड़ा ही न था ।
नही मिलेगा...सुन्दर
bahut sundar bindaas ...
sameer ji , aapne to aaj ki haqiqat kah di ...nishabd hoon
bawal bhai , is par to ke geet aapki awaz me suna jaaye
vijay
दिल को छूता शेर...बहुत सुन्दर
वाह बहुत बढ़िया.ऐसे ठेकेदार की तलाश तो जारी है.
दिल को छूती हुई एक संवेदन रचना --काश कोई ऐसी सीमेंट होती ..?
बाबू जी ने गर इतनी जायदाद को छोड़ा नहीं होता
मेरे अपने भाई ने कभी,मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता..
वाह जी वाह आज का यह कडबा सच धन्यवाद
आ.समीर जी ,
आप बिलकुल भी परेशान न होईयेगा,बस मेरे ब्लॉग पर चले आइयेगा.ऐसा ठेकेदार मिलेगा 'अवध' में
कि जो दिल की दरारों को भरे ही नहीं दिलों को भी
जोड़ेगा.और फिर सब मिल कर नाचेंगें और गायेंगें
'होली खेले रघुबीरा,अवध में होली खेले रघुबीरा'.
ब्लॉग जगत में पहली बार एक ऐसा सामुदायिक ब्लॉग जो भारत के स्वाभिमान और हिन्दू स्वाभिमान को संकल्पित है, जो देशभक्त मुसलमानों का सम्मान करता है, पर बाबर और लादेन द्वारा रचित इस्लाम की हिंसा का खुलकर विरोध करता है. साथ ही धर्मनिरपेक्षता के नाम पर कायरता दिखाने वाले हिन्दुओ का भी विरोध करता है.
आप भी बन सकते इस ब्लॉग के लेखक बस आपके अन्दर सच लिखने का हौसला होना चाहिए.
समय मिले तो इस ब्लॉग को देखकर अपने विचार अवश्य दे
जानिए क्या है धर्मनिरपेक्षता
हल्ला बोल के नियम व् शर्तें
ऐसा ठेकेदार चाहिए तो सुमित प्रताप सिंह से संपर्क करना...
अब स्वयं से बढ़ कर ऐसा ठेकेदार
और कहाँ मिल पाएगा भला !!
स्थिति की वास्तविकता का
सुन्दर वर्णन !!!
बाबू जी ने गर इतनी जायदाद को छोड़ा नहीं होता
मेरे अपने भाई ने कभी,मुझसे मूँह मोड़ा नहीं होता..
kitna sunder aur sahi kaha hai
saader
rachana
क्या बात है! लाल साहब
बहुत ख़ूब बहुत बेहतर
शेर दर्ज अजब कहकर
SIR SAHI FARMAYA GYA HAI KI AJ RISHTO ME SABSE JYADA DARAR AGAR KOI CHIJ FAIDA KAR RAHI HAI TO WO HAI DAN,SAMPATTI,JAYDAAD.YE AISI CHIJE HAIN JO APNE KHUN ME BHI DARAR DALNE KO SADIV TAIYAAR BAITHI RAHTI HAIN............SIR AAPNE BAHOT KHUB LIKHA HAI
आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अनुभूतियों और एहसासों का अप्रतिम विस्फोट है यह रचना .बधाई .बहुत खूब कहा है बे-लाग हो कहा है ज़माने की हकीकत को .
यथार्थ वादी शेर.बेहतरीन.
ऐसा ठेकेदार कहाँ मिलता है ... अच्छी प्रस्तुति
वाह ...बहुत खूब कहा है ।
आज की हकीकत मगर हर दिल के दर्द को कहती शानदार अभिव्यक्ति।
आज -कल की सच्चाई बयां करती हुई...
एक टिप्पणी भेजें