मंगलवार, 4 नवंबर 2008

नहीं रुकेगा .......

न रोको अब, के नहीं रुकेगा,

वो उड़ चला है, अजब की जानिब !

ग़ज़ब की रफ़्तार, है पकड़ ली,

औ, राह जाती है, रब की जानिब !!

----बवाल

जानिब = ओर, सम्त, दिशा में
औ = और

13 टिप्‍पणियां:

पारुल "पुखराज" ने कहा…

बहुत अच्छे

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत खूब बवाल भाई!

Udan Tashtari ने कहा…

बेहतरीन एवं सन्नाट. गज़ब, बवाल!!

Girish Kumar Billore ने कहा…

रब की जानिब चलो चला जाए ,हर-एक-राह उधर की ही है !
सवाल कर कर के वक्त न गवाँ ,नियाज़मंद ये सलाह उधर की है

seema gupta ने कहा…

roke se bhee kub ruka hai, jo udh chla hai ajb keee janeeb,
raftaar kee raftaar see agey bdha hai...beshak manjil milege rub ke janeeb...

regards

समय चक्र ने कहा…

khoobasoorat Abhivyakti. vah kya bat hai babal ji.

अवाम ने कहा…

सुंदर रचना सुंदर सोच

PREETI BARTHWAL ने कहा…

बहुत अच्छा

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

ग़ज़ब की रफ़्तार ली है, अजब की जानिब !
न रोको अब, राह जाती है, रब की जानिब !!

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

सही बात कही सर ।
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आपकी इस पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है

Dorothy ने कहा…

ग़ज़ब की रफ़्तार ली है, अजब की जानिब !
न रोको अब, राह जाती है, रब की जानिब !!

बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर,
डोरोथी.

रेखा ने कहा…

ये शेर तो बवाल है ....

रेखा ने कहा…

ये शेर तो बवाल है ....