इस तरह की ग़ज़्ल को देखे हुए ! हमको भी अब तो ज़माना हो गया !!
क्या बात है अनुपम साहब ! किस अदा से इंतज़ार का ख़ात्मा किया सर. बहुत मज़ा आ गया सच. अहा ! आप कहते हो सीख रहा हूँ, छुपे रुस्तमों को भी कहीं सीखना पड़ता है ? कहिये ! हा हा ! आपका जज़्बा क़द्र के क़ाबिल है !
13 टिप्पणियां:
जो शेर आसमान से, नाज़िल हुआ यहाँ !
उनकी ग़ज़ल में जा सजा, कामिल हुआ वहाँ !!
" perfact, every thing should be placed in its proper place na... haha ha"
Regards
wah..kya baat hai!
अरे वाह आपका ही है क्या ? बवाल काट दिया :)
bahot khub kaha sahab aapne bahot khub....
कमाल है भाई ... बवाल है.. मस्त ! बहुत सुंदर.
कमाल है भाई. .बहुत सुंदर..
लगे हाथ बता दो,
आसमाँ कहाँ से नाजिल हुआ?
sundertam...........wah
महफ़िल में, सज के, मुकामिल होने लगे .
क्या शेर भी आसमां से नाजिल होने लगे ???..
बहुत खूब जनाब...वाह...
नीरज
आज कल मधुशाला पर बड़ा बवाल चल रहा है .आपको पता है न ? जरा संभल के .लेकिन मज़ा आ गया आपकी रचना पढ़ के .
इस तरह की ग़ज़्ल को देखे हुए !
हमको भी अब तो ज़माना हो गया !!
क्या बात है अनुपम साहब ! किस अदा से इंतज़ार का ख़ात्मा किया सर. बहुत मज़ा आ गया सच. अहा !
आप कहते हो सीख रहा हूँ, छुपे रुस्तमों को भी कहीं सीखना पड़ता है ? कहिये ! हा हा !
आपका जज़्बा क़द्र के क़ाबिल है !
बहुत खूब कहा।
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