गुरुवार, 13 नवंबर 2008

बस भरमाते हैं.......................

मुगा़लता तो आप समझते, हम तो बस भरमाते हैं !

तबस्सुमों के आशिक़ हैं भई, रुक कर सच फ़रमाते हैं !!

---बवाल

मुगा़लता = धोखा, ग़लतफ़हमी
तबस्सुम = मुस्कान (स्माइल)

14 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

वाह !

"अर्श" ने कहा…

वह क्या बात कही साहब आपने बहोत खूब ,मज़ा आगया ..

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत खूब!! ये हुई न आशिकी.

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

क्या बात है... वाह...बधाई

डॉ .अनुराग ने कहा…

क्या सच फरमाया है हजूर !

"अर्श" ने कहा…

aapke dishanirdesh protsahit karta hai,abhit to bahot kuch sikhana hai ye to shuruyat hai,main bhi hamesha sikhane ke liye taiyar rahta hun,aapki salah saraankhon pe ....
aap mere blog pe aapka bahot swagat hai ....

main aabhari hun

arsh

jamos jhalla ने कहा…

Aashik ho aashiki ki baat karo .
sach aur jhoot ko door karo .
kewal ishq musq ki baat karo .
talabgaaretabassum hain sabhi.
vakeel ho dil ki baat karo .
jhalle ke blog par bhi
B A W A A L KARO .jhallevichar.blogspot.com

सुप्रतिम बनर्जी ने कहा…

compact creation!!!!

बवाल ने कहा…

आहा झल्ली भाई, आप तो पहली नज़र में ही दिल लेकर भाग लिए वो भी वाहे-गुरु के नाम पर. क्या कहना !
चलिए सच्चे बादशाह की शान में हम मिल कर नज़ीर अक़बराबादी को भी याद करते हैं.
कुछ ऐसे ----
कहते हैं नानक शाह जिन्हें, वे पूरे हैं आगाह गुरू !
वो का़मिल रहबर हैं जग में, यूँ रौशन जैसे माह गुरू !!
अरे वाह गुरू अरे वाह गुरू !!!
---आपका बड़ा आभार के आपने हमें पसंद किया.

seema gupta ने कहा…

मुगा़लता तो आप समझते, हम तो बस भरमाते हैं !
तबस्सुमों के आशिक़ हैं भई, रुक कर सच फ़रमाते हैं !!
"bharmana or fir ruk ruk ke farmana, bhai wah kya andaaj hai..."

regards

Jimmy ने कहा…

bouth he aacha post kiyaa hai ji aapne nice work



Shyari Is Here Visit Jauru Karo Ji

http://www.discobhangra.com/shayari/sad-shayri/

Etc...........

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

कहीं सुना था ;
लिखकर हमारा नाम उन्होंने ज़मीन पर मिटा दिया
उनका था खेल हमें खाक में मिला दिया

Girish Kumar Billore ने कहा…

Wah Wah

तीसरा कदम ने कहा…

बहुत खूब लिखा आपने.