उड़नतश्तरी पिछले दो दिन के लिए गा़यब हुई क्षुब्ध वुब्ध वाली स्टाइल में ।
लोग परेशान हो गए के भैये कहाँ गए ? और हम उस वक्त शोले पिक्चर देख रहे थे जहाँ अमित जी जो के उन दिनों अमिताभ कहलाते थे डायलोग मार रहे थे --- हाँ देखा कुछ नहीं होगा जब फ़लानी चीज़ उतरेगी तो ये भी उतर आएगा । देखा ! उतर आई ना । अरे भाई क्लासिक चीज़ों और हरदिल अज़ीज़ों में यही तो ख़ूबी है । चाहने वालों से दूर रह ही नहीं सकते। छतीसगढ़ में कहावत ही है के कानी ला भाव नई औ कानी बिना रहू नई । याने अब हटाइए । मीठी नींद फ़रमाइए ।
गुरुवार, 11 सितंबर 2008
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5 टिप्पणियां:
आपने एकदम द पोइण्ट लिखा है .
अरे वाह, मेरे बवाल!! गजब चीज हो.इस वीक एण्ड पर नजर डालते हैं यहाँ. :)
और इस बीच दुनियाँ ब्लेक होल में हो कर वापस आ गई।
:)
समीर जी ने तो 'बवाल' कर दिया.
समीर जी अभी उतरी नहीं कि अगली की बात करने लगे. :)
सही पकड़ा आपने बवाल जी
" bhut shee kha aapne, ab jake raahet aaye"
Regards
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