पिछले कुछ दिनों से एक ब्लॉग बहुत ही खूबसूरती से ब्लागरों का दिल चुरा रहा है। और वो है आदरणीय सीमाजी का ब्लॉग मेरिभावनायें। ब्लागस्पाट। कॉम
देखिये न ४.९.०८ को हिज्र ऐ यार , ५.९.०८ को मंज़िल, ६.९.०८ को सज़ा, ८.९.०८ को कैसे भूल जाए, ९.९.०८ को फ़र्जे इश्क, १०.९.०८ को दरिया की कहानी, ११.९.०८ को आशनाई । कया बात है ! कया कहना ! बहुत खूब ! फ़िल ख़ूब !
बहुत अदब से सीमाजी आपसे बुरा मानने का इख़तियार हम छीनते हैं और आपकी बेखटके, बेरोकटोक, बगै़र किल्लतो-कसरत, बेतहाशा तारीफ़ करने का इख़तियार हम बिना आपकी इजाज़त हासिल करते हैं। आप हमें मुआफ़ रखें।
ज़माने में उसने बड़ी बात कर ली,
ख़ुद अपने से जिसने मुलाक़ात कर ली।
गुरुवार, 11 सितंबर 2008
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3 टिप्पणियां:
'shukriya shukriya shukriya' iske aagey kya khun aaj lafj bhe kum pdh gyen hain humare pass. Aap sub ke duaon ka assar hai. Is hauslafjaee ka thye dil se shukriya. Aap ne apne blog pr jo maan smman hume beksha hai hum kabhe nahe bhula payenge... Is apnetv ko humara salam. with Regards
वाकई सीमा जी की बात निराली-कलम की धनी हैं.
सहमत है।
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