मंगलवार, 16 सितंबर 2008

कौन कहता है के .........

पिछले ११ सितम्बर की पोस्ट के बाद कुछ लिखने का वक्त ना मिल पाया । क्या बतलायें थोड़ी बहुत वक़ालत भी तो करनी पड़ जाती है न इस ब्रॉड बैंड के बिल का ख़र्च निकालने के वास्ते। पर इस गैप पर कुछ दोस्त घबराकर पूछ बैठे । क्या बात है ? मर मिटे क्या नाइन इलेवन पर ? हो तो जल्दी नज़र आओ भाई ।
उनकी शंका समाधान के लिए किसी शायर के ये शेर शायद पसंद आयें -

कौन कहता के, मौत आई तो मर जाऊंगा ?
मैं तो दरिया हूँ, समंदर में उतर जाऊंगा !!

ख़ुद पुकारेगी जो मंज़िल, तो ठहर जाऊंगा !
वरना खु़द्दार मुसाफ़िर हूँ, गुज़र जाऊँगा !!

3 टिप्‍पणियां:

PREETI BARTHWAL ने कहा…

बहुत ही बढिया

Udan Tashtari ने कहा…

आय हाय!! क्या शेर कहे हैं..वाह वाह, बहुत खूब, बवाल..

कौन कहता के, मौत आई तो मर जाऊंगा ?
मैं तो दरिया हूँ, समंदर में उतर जाऊंगा !!

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

कौन कहता के, मौत आई तो मर जाऊंगा ?
दिल मेरा दरिया है मौत उसमे समां जावेगी.
भाई लिखा आपने जो शेर मन को भा गया
दिल थाम के पढ़ा तो शेर जिगर में छा गया.
पंडित जी आपने ब्रास बेंड कनेक्शन ले लिया है .बधाई