आज का दिन राशिफल के अनुसार मेरा मनहूस दिन था मगर मेरे बड़े ही प्यारे तीन व्यक्तियों के लिए और भारतवर्ष के लिए एक बहुत स्पेशल गौरव का दिन था ।
समीरलालजी (उड़नतश्तरी), लेफ्टिनेंट कर्नल कपिल देव और सीमाजी (मेरिभावनाएं) । इन तीनो विभूतियों के सम्मान में सीमाब साहेब का ये शेर पेशेखि़दमत है -----
छू ना पाती है परे- जिब्रील की हवा !
ये किन बुलंदियों पे उड़ा जा रहा हूँ में ???
गुरुवार, 25 सितंबर 2008
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3 टिप्पणियां:
kya bat hai
क्या बात है!! बहुत उम्दा शेर..आभार इस स्नेह का!!
"many many thanks and regards for this appreciation . Wish you good luck koee manuseyt bhee aapke aas pass nazar na aye allah kre..."
Regards
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