दिलों की बज़्म में, हमको बड़ा मलाल हुआ !
वफ़ा का ज़िक्र छिड़ा था के बस, बवाल हुआ !!
---बवाल
गुरुवार, 27 नवंबर 2008
सोमवार, 24 नवंबर 2008
क़सीदे.....
आपकी तारीफ़ में, जब हम क़सीदे पढ़ चले !
तालियों के सिलसिले, तड़ तड़ तड़ा तड़ तड़ चले !!
---बवाल
क़सीदे = प्रशंसात्मक -पद्य या गीत
तालियों के सिलसिले, तड़ तड़ तड़ा तड़ तड़ चले !!
---बवाल
क़सीदे = प्रशंसात्मक -पद्य या गीत
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शुक्रवार, 21 नवंबर 2008
सफ़्हए-उल्फ़त ......
जहाँ से तुमको पढ़ा नहीं था,
वहाँ से लिखने को अब चला हूँ !
नहीं...., शिकन ना पड़ेगी मुझ पर,
सफ़्हए-उल्फ़त का सिलसिला हूँ !!
---बवाल
शिकन = सलवट, मोड़-तोड़, फटना
सफ़्हए-उल्फ़त = प्यार के पन्ने
वहाँ से लिखने को अब चला हूँ !
नहीं...., शिकन ना पड़ेगी मुझ पर,
सफ़्हए-उल्फ़त का सिलसिला हूँ !!
---बवाल
शिकन = सलवट, मोड़-तोड़, फटना
सफ़्हए-उल्फ़त = प्यार के पन्ने
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सोमवार, 17 नवंबर 2008
नाज़िल हुआ यहाँ ........
जो शेर आसमान से, नाज़िल हुआ यहाँ !
उनकी ग़ज़ल में जा सजा, कामिल हुआ वहाँ !!
---बवाल
नाज़िल = उतरा
कामिल = सर्वांगपूर्ण, परिपूर्ण, पर्फ़ेक्ट
उनकी ग़ज़ल में जा सजा, कामिल हुआ वहाँ !!
---बवाल
नाज़िल = उतरा
कामिल = सर्वांगपूर्ण, परिपूर्ण, पर्फ़ेक्ट
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गुरुवार, 13 नवंबर 2008
बस भरमाते हैं.......................
मुगा़लता तो आप समझते, हम तो बस भरमाते हैं !
तबस्सुमों के आशिक़ हैं भई, रुक कर सच फ़रमाते हैं !!
---बवाल
मुगा़लता = धोखा, ग़लतफ़हमी
तबस्सुम = मुस्कान (स्माइल)
तबस्सुमों के आशिक़ हैं भई, रुक कर सच फ़रमाते हैं !!
---बवाल
मुगा़लता = धोखा, ग़लतफ़हमी
तबस्सुम = मुस्कान (स्माइल)
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सोमवार, 10 नवंबर 2008
सवाले-खु़श्क को ..............
सवाले-खु़श्क को जवाब है, फुहारों का !
भँवर में ज़िक्र भी तो छेड़िए, किनारों का !!
---बवाल
खु़श्क = रूखा, नकारात्मक
भँवर में ज़िक्र भी तो छेड़िए, किनारों का !!
---बवाल
खु़श्क = रूखा, नकारात्मक
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शुक्रवार, 7 नवंबर 2008
जता गए वो......
इधर को आकर जता गए वो,
उधर को रुख़ अब मना है बाबू !
वहीं है आबाद मेरी दुनिया,
तभी तो मुश्किल है दिल पे क़ाबू ?
----बवाल
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मंगलवार, 4 नवंबर 2008
नहीं रुकेगा .......
न रोको अब, के नहीं रुकेगा,
वो उड़ चला है, अजब की जानिब !
ग़ज़ब की रफ़्तार, है पकड़ ली,
औ, राह जाती है, रब की जानिब !!
----बवाल
जानिब = ओर, सम्त, दिशा में
औ = और
वो उड़ चला है, अजब की जानिब !
ग़ज़ब की रफ़्तार, है पकड़ ली,
औ, राह जाती है, रब की जानिब !!
----बवाल
जानिब = ओर, सम्त, दिशा में
औ = और
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रविवार, 2 नवंबर 2008
प्यार करते हैं...........
नियाज़मंद जिन्हें, दिल से प्यार करते हैं !
फ़राख़-दिल वो हैं, पर दिल फ़िगार करते हैं !!
---बवाल
नियाज़मंद = आज्ञाकारी, प्रेमी
फ़राख़-दिल = उदार ह्रदय
फ़िगार = घायल
फ़राख़-दिल वो हैं, पर दिल फ़िगार करते हैं !!
---बवाल
नियाज़मंद = आज्ञाकारी, प्रेमी
फ़राख़-दिल = उदार ह्रदय
फ़िगार = घायल
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शनिवार, 1 नवंबर 2008
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