सोमवार, 18 जुलाई 2011

हुस्ने-क़ुद्रत

मैं हुस्ने-क़ुद्रत बयाँ करूँ क्या ?

असर में होशो-हवास खोया !

नज़ारे जन्नत के इस ज़मीं पर,

सभी हैं मेरे ही पास गोया !!

--- बवाल