सोमवार, 1 मार्च 2010

किसिम किसिम की गुलाल................................

किसिम-किसिम की गुलाल लेकर,  हम उड़ चले थे उन्हें लगाने  !




मगर वहाँ से वो उड़ चले थे, तमाम रंगत को ही मिटाने !!



तभी  यकायक से मौसमे-गुल, ने हक़ में अपने जो दी गवाही !



तो हैरत-अँगेज़ रँगे-जन्नत, लगे हमारी ग़ज़ल सजाने !!





आप सभी साहिबान को ईद, होली और हॉकी में हिन्दोस्ताँ की बेहतरीन जीत पर ढेर सारी बधाइयाँ

--- बवाल