सोमवार, 18 जनवरी 2010

मैं जनाज़ा हो चला.............................(बवाल)

दोस्त तेरी महफ़िलों से, जी मेरा,   ले भर गया

मैं जनाज़ा हो चला, ऐलान कर दे,   मर गया



काश, दिल का दर्द तू, पहले बता देता कभी !

क्या मैं तेरे सामने, ज़िंदा नहीं होता अभी  ??

गुरुवार, 14 जनवरी 2010

चचा लुक़्मान ज़िंदाबाद : बवाल का सलाम

कुछ ऐसी तसव्वुर की, महफ़िल सजाएँ

जहाँ हों वहीं से, उन्हें खैंच लाएँ 

क़व्वाले-आज़म तहज़ीबिस्तान

चचा लुक़्मान



हमारे उस्ताद की जयंती

१४ जनवरी १९२५ (मकर संक्राति) पर

उन्हें ‍शत् शत् नमन

(महाप्रयाण :- २७ जुलाई २००२)

पद्मश्री पंडित भवानी प्रसाद तिवारी जी की इन पंक्तियों के साथ

मधुर बीन तेरी स्वरित तार मेरे

बहुत जोड़ता हूँ, नहीं जोड़ पाता

और

हमारे श्रद्धासुमन


चोटों पे चोट खाना, खाकर वो भूल जाना

मुझे मुआफ़ करते करते, अल्लाह बन न जाना


एहले ज़बाँ का मुझको, वो इल्म ना हो शायद

तेरी कहन को लेकिन, हूँ जानता निभाना

---बवाल

मंगलवार, 12 जनवरी 2010

अलसेट में हो गया लेट : नतीजा बवाल की रीमिक्स पहेली २००९ का

आदरणीय एवं प्रिय आत्मीयजनों,
साल २००९ की और बवाल की अब तक की इकलौती “रीमिक्स" पहेली के नतीजे की घोषणा करते हुए हमें अत्यंत हर्ष हो रहा है। हालाँकि यह अपने निर्धारित समय से कई दिन बाद हो पा रही है क्योंकि इसके आयोजक पिछले दिनों ज़रा अलसेट में पड़े हुए थे, और इसीलिए देर के लिए हम आप सब के क्षमाप्रार्थी हैं। अलसेट का तो ऐसा है कि जब जब वो हमें होती है तो अपने साथ साथ हम अपने कुछ प्रियजनों की भी अलसेट करवा देते हैं ताकि उनका हमारा साथ बना रहे। हा हा। देखिए ना पिछले दस-पाँच दिनों में हमारे कितने ही प्रियजनों की अलसेट होती रही। हत्ता कि भैं-भैं रू-रू झटक-पटक तक हुई । मगर हम सदैव उनका साथ देते आए हैं और देते रहेंगे।

खै़र चलिए आगे चलते हैं।
जी हाँ, तो पहेली के जज, बिगब्रदर समीर-लाल जी ने सभी जवाबों का महीनता से अवलोकन करके पहेली का नतीजा घोषित कर दिया है।


हमारे साथ ज़ोरदार तालियों से जीतने वालों का स्वागत कीजिए
जी हाँ तो लीजिए इस रीमिक्स पहेली के

विजेता हैं :

हम सब के प्रिय स्मार्ट इण्डियन जी




इन्होंने पहेली कुछ इस अंदाज़ में बूझी :-

बवाल जी,
पहला इनाम तो गया पहली टिप्पणी में मगर दुसरे का दावा तो किया जा सकता है. यह तो सीमा जी की प्रसिद्ध रचना है. आपके सारे प्रश्नों के जवाब यहाँ पर हैं:
http://mairebhavnayen.blogspot.com/2008/12/blog-post_06.html

अरे भैया, ऐसे तो हम हर परीक्षा पास कर लेते परीक्षा लेने वाले से यह कहकर, कि आपके इन सारे प्रश्‍नों का जवाब हमारे निसाब (कोर्स) की फ़लाँ फ़लाँ पुस्तक में हैं। हा हा। मगर फिर भी आपने यह ज़हमत उठाई और सही जगह पहुँचे इसीलिए ख़िताब हुआ आपके नाम।


प्रजेता हैं:

परम आदरणीया सुश्री सीमा गुप्ता जी




इन्होंने पहेली कुछ इस अंदाज़ में बूझी :-
ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ha ah ah ah ha ha ha ha .................ha ha ha ha ha ha ha


उनका मतलब यह था कि आप हँसिए मत, बड़ी कठिन पहेली है। उत्तर जो कि मालूम है मगर यदि देती हूँ तो लोग कहेंगे-- आँ ssss ख़ुद का गीत तो कोई भी पहचान जाता। यदि नहीं देती हूँ तो लोग कहेंगे ख़ुद का गीत ही भूल गए। हा हा।


वे विशाल हृदय हैं, इसीलिए बवाल से नाराज़ भी नहीं हुईं कि उनका  इतना सुन्दर गीत क्यों इस तरह तोड़ा-मरोड़ा ?
इसीलिए हमारी जुगलबंदी उनका तहेदिल से आभार प्रकट करती है कि उन्होंने पहेली की रोचकता बनाए रखने में हमें सहयोग दिया।
Rewards

और हमारे हृदय-विजेता हैं सर्वादरणीय-सर्वश्री :-
शशिकांत ओझा जी
समयचक्र वाले महेंद्र मिश्रा जी
राज सिंह जी
दिनेशराय द्विवेदी जी
नीरज गोस्वामी जी
राज भाटिया जी
समीर लाल जी
निर्मला कपिला जी
बेनामी जी
ताऊ रामपुरिया जी
अनूप शुक्ल (फ़ुरसतिया जी)
सुश्री अल्पना वर्मा जी
ज़ाकिर अली रजनीश जी
गिरीश बिल्लोरे ‘मुकुल’ जी
डॉ. मनोज मिश्र जी
मुरारी पारीक जी
अरविंद मिश्रा जी
ललित शर्मा जी
निर्झर’नीर जी
किसलय जी

और ये हैं रीमिक्स पहेली के सही जवाब :-


१) किस ब्लॉगर ने लिखी ?
          सुश्री सीमा गुप्ता


२) किस ब्लॉग पर लिखी ?
      http://mairebhavnayen.blogspot.com/2008/12/blog-post_06.html


३) किस तारीख को लिखी ?
      ६ दिसंबर २००८


४) रचना की पहली लाइन क्या है ?
        हर गीत अधुरा तुम बिन मेरा,


और पूरा ख़ूबसूरत गीत यह है :

हर गीत अधुरा तुम बिन मेरा,
साजों मे भी अब तार नही..
बिखरी हुई रचनाएँ हैं सारी,
शब्दों मे भी वो सार नही...
जज्बातों का उल्लेख करूं क्या ,
भावों मे मिलता करार नही...
तुम अनजानी अभिलाषा मेरी,
क्यूँ सुनते मेरी पुकार नही ...
हर राह पे जैसे पदचाप तुम्हारी ,
रोकूँ कैसे अधिकार नही ...
तर्ष्णा प्यासी एक नज़र को तेरी,
मिलने के मगर आसार नही.....


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