रविवार, 16 मई 2010

जाने क्या वो लिख चले.....................(बवाल)

जाने क्या वो लिख चले और, जाने क्या ये पढ़ चले ...?

हम-क़लम के हर्फ़े-आख़िर, दिल में पुरदम गड़ चले............

--- बवाल


हम-क़लम  = एक जैसा और एक साथ लिखने वाले, मित्र (...., ....., .....)

हर्फ़े-आख़िर = अटल और अंतिम निर्णय, शब्द या बात व्यक्त करते हुए वर्णाक्षर

पुरदम = भर-ताक़त