सना करें औ सलामियाँ हों , है सद्र शर्मिंदगी कहीं कुछ ?
फ़तह का सामाँ दिखा रहे हों, के टाटे-पैबंदगी सभी कुछ !!
--- समीर 'लाल 'और 'बवाल
शब्दार्थ :-
सना = स्तुति, वन्दना, प्रशंसा
सलामियाँ = गणतंत्र दिवस पर होने वाली परेड
सद्र = राष्ट्रपति और तमाम सियासतदाँ
फ़तह का सामाँ = हथियार, शस्त्र, विमान, टैंक, तोपें, मिसाइलें, असलहा
टाटे पैबंदगी = मख़्मल में टाट का पैबंद लगाना
भावार्थ :- सदियों से चले आ रहे आतंकवाद और तिस पर हालिया बम्बई (हमें मुम्बई कहना पसंद नहीं) की घटनाओं के बाद कुछ भी न कर पाने के बाद तो, गणतंत्र दिवस पर हमें तो बड़ी शर्म आ रही है परेड करते हुए। कैसे कहें, पराजित हिंद को जयहिंद ? बतलाइए ?
कौन........
11 वर्ष पहले