बड़े भाई नमस्कार, क्या कहूँ स्तब्ध हूँ आप ये जो सिर्फ़ एक शे'र में साड़ी बातें कह जाते हो ज्यादती है ये तो आगे पढ़ने का दिल करता मगर दिल कचोट के रह जाता है ,ऐसा जुल्म मत धावो आप .. कह देता हूँ .... हा हा हा मजाक कर रहा था मगर एक पुरी ग़ज़ल पढ़ने की दिली इक्छा है कब पुरी होगी.... बहोत ही खुबसूरत लिखा है आपने .... ढेरो बधाई कुबूल फरमाएं...
वही हमारे वही तुम्हारे, तो फिर मचा ये बवाल क्यूँ है ? मेरे शहर की बुलंदियों की, ये हद से गिरती मिसाल क्यूँ है ? वाह बवाल जी जो पंगु गिरी को सहज ही लांघे तो मेरे रहबर बवाल होगा खुदा के बन्दों से जाके कह दो - कमाल हूँ तो कमाल होगा
16 टिप्पणियां:
बड़े भाई नमस्कार,
क्या कहूँ स्तब्ध हूँ आप ये जो सिर्फ़ एक शे'र में साड़ी बातें कह जाते हो ज्यादती है ये तो आगे पढ़ने का दिल करता मगर दिल कचोट के रह जाता है ,ऐसा जुल्म मत धावो आप .. कह देता हूँ .... हा हा हा मजाक कर रहा था मगर एक पुरी ग़ज़ल पढ़ने की दिली इक्छा है कब पुरी होगी.... बहोत ही खुबसूरत लिखा है आपने .... ढेरो बधाई कुबूल फरमाएं...
आपका
अर्श
आप तो गागर मे सागर भरने की कला जानते हैं बहुत ही कमाल अंदाज है आपका ब्धाई
bahut khub
हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से कुछ नहीं होने वाला .
अगर आप लोग प्रयास करें तो हमें नहीं लगता कि कहानी आगे बढेगी !
लाल और बवाल एक मंच पर वाह वाह
क्या बात है वकील साब
सुभानल्लाह...
पूरी गज़ल से वाकफियत नहीं करवायेंगे क्या?
बवाल मची है बवाल ....मचने दीजिये ना ......बवाल होगा तभी ना धमाल होगा.....
regards
गम्भीर सवाल है।
क्या बात है भाई जान...सुभान अल्लाह...वाह...
नीरज
बहुत सुंदर
लाल एण्ड बवाल ने पूछा एक सवाल है, लेकिन मुझे आता नही जवाव है,हाय मै कया करू....
गूढ बात है. कहने के लिये आभार. पर आप दोनो यानि जुगलबंदी के रहते हमें कोई फ़िक्र नही है.
रामराम.
वही हमारे वही तुम्हारे, तो फिर मचा ये बवाल क्यूँ है ?
मेरे शहर की बुलंदियों की, ये हद से गिरती मिसाल क्यूँ है ?
वाह बवाल जी
जो पंगु गिरी को सहज ही लांघे तो मेरे रहबर बवाल होगा
खुदा के बन्दों से जाके कह दो - कमाल हूँ तो कमाल होगा
bahut khub. thode me sabkuch kah diya.
poora blog pdh gayi..dil ke bavaal aapki kalam se ubal ubal kr niklte hain....
Bahut khub.
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