मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

क्यूँ है..........?

वही हमारे वही तुम्हारे, तो फिर मचा ये बवाल क्यूँ है ?

मेरे शहर की बुलंदियों की, ये हद से गिरती मिसाल क्यूँ है ?

16 टिप्‍पणियां:

"अर्श" ने कहा…

बड़े भाई नमस्कार,
क्या कहूँ स्तब्ध हूँ आप ये जो सिर्फ़ एक शे'र में साड़ी बातें कह जाते हो ज्यादती है ये तो आगे पढ़ने का दिल करता मगर दिल कचोट के रह जाता है ,ऐसा जुल्म मत धावो आप .. कह देता हूँ .... हा हा हा मजाक कर रहा था मगर एक पुरी ग़ज़ल पढ़ने की दिली इक्छा है कब पुरी होगी.... बहोत ही खुबसूरत लिखा है आपने .... ढेरो बधाई कुबूल फरमाएं...

आपका
अर्श

निर्मला कपिला ने कहा…

आप तो गागर मे सागर भरने की कला जानते हैं बहुत ही कमाल अंदाज है आपका ब्धाई

बेनामी ने कहा…

bahut khub

विवेक सिंह ने कहा…

हाथ पर हाथ धरे बैठे रहने से कुछ नहीं होने वाला .

अगर आप लोग प्रयास करें तो हमें नहीं लगता कि कहानी आगे बढेगी !

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

लाल और बवाल एक मंच पर वाह वाह

गौतम राजऋषि ने कहा…

क्या बात है वकील साब
सुभानल्लाह...
पूरी गज़ल से वाकफियत नहीं करवायेंगे क्या?

seema gupta ने कहा…

बवाल मची है बवाल ....मचने दीजिये ना ......बवाल होगा तभी ना धमाल होगा.....

regards

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

गम्भीर सवाल है।

नीरज गोस्वामी ने कहा…

क्या बात है भाई जान...सुभान अल्लाह...वाह...
नीरज

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुंदर

राज भाटिय़ा ने कहा…

लाल एण्ड बवाल ने पूछा एक सवाल है, लेकिन मुझे आता नही जवाव है,हाय मै कया करू....

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

गूढ बात है. कहने के लिये आभार. पर आप दोनो यानि जुगलबंदी के रहते हमें कोई फ़िक्र नही है.

रामराम.

Girish Kumar Billore ने कहा…

वही हमारे वही तुम्हारे, तो फिर मचा ये बवाल क्यूँ है ?
मेरे शहर की बुलंदियों की, ये हद से गिरती मिसाल क्यूँ है ?
वाह बवाल जी
जो पंगु गिरी को सहज ही लांघे तो मेरे रहबर बवाल होगा
खुदा के बन्दों से जाके कह दो - कमाल हूँ तो कमाल होगा

shelley ने कहा…

bahut khub. thode me sabkuch kah diya.

nidhi ने कहा…

poora blog pdh gayi..dil ke bavaal aapki kalam se ubal ubal kr niklte hain....

sandhyagupta ने कहा…

Bahut khub.