रविवार, 18 जनवरी 2009

फ़ुरसतों में .............. (बवाल)



ज़रा सा इनकी तरफ़ तो देखो, हैं दोनों आलम सँभाल रक्खे

औ’ तुमने पहली ही फ़ुरसतों में, उबल-उबल कर बवाल रक्खे

---बवाल

निहित शब्दार्थ :- दोनों आलम = चल (मूक श्वान) - अचल (शिला), तुमने = मानव ने, उबल उबल = असंतुलित वाणी

24 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

"कुदरत का नायब करिश्मा ...क्या कहने...ये मूक है इसलिए सम्भले हुए हैं अगर ये भी वाचाल होते तो फ़िर बवाल ही बवाल.....होते...."

Regards

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत लाजवाब जी.

रामराम.

Vinay ने कहा…

अद्भुत चित्र!

---मेरा पृष्ठ
तख़लीक़-ए-नज़र

राज भाटिय़ा ने कहा…

दोनो चित्र लाजवाव है जी,
धन्यवाद हम तक पहुचाने के लिये

Alpana Verma ने कहा…

वाह क्या बैलेंस है!

रंजू भाटिया ने कहा…

अदभुत करिश्मा है यह :)

नीरज गोस्वामी ने कहा…

उबल-उबल कर बवाल रक्खे
वाह...क्या बात है भाई जान...वाह...
नीरज

Pramendra Pratap Singh ने कहा…

अरे दईया रे दईया ई तो उकील साहेव के बिलाग बा, अरे वहीहै करिया कोट वाले। :)

महाशक्ति का प्रणाम बवाल के चरणो में।


आपका हमारे ब्‍लाग पर आना बहुत अच्‍छा लगा। निरन्‍तर आते रहियेगा। हमें जिनती जानकारी हुई हम दूर बैठे उतना लिख दिये

Udan Tashtari ने कहा…

सही कहा: वाचाल का बवाल है, इनका क्या??

बेहतरीन प्रस्तुति.

विवेक सिंह ने कहा…

ठीक है जी अब नहीं उबलेंगे :)

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

क्या बात है बवाल भाई? बात ऐसे ही कही जाती है।

पारुल "पुखराज" ने कहा…

बिल्कुल ठीक बात…

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

वाह! चित्रों पर भी और कविता पर भी।

समयचक्र ने कहा…

बिंदास लाइने और बढ़िया फोटो . बधाई बबाल जी

Vinay ने कहा…

नयी प्रोफ़ाइल फोटो तो चकाचक है, नयी खिंचवायी क्या?

---आपका हार्दिक स्वागत है
चाँद, बादल और शाम

बवाल ने कहा…

जनता की ख़ास फ़रमाइश पर मैं यह बताना चाहता हूँ के नई प्रोफ़ाइल फ़ोटो पिछली २८ दिसम्बर २००८ को शादी की सालगिरह पर खिंचवाई गई थी।

अलावा इसके उपरोक्त श्वान साहब का चित्र हमने उनके लाल कमीज़ वाले बच्चन मदारी के साथ अपने पूना स्थित निवास कुबेर संकुल के गेट के बाहर सन २००७ में, और जबलपुर की मदन महल पहाड़ी स्थित मशहूर संतुलन शिला जिसे "जबले-मीज़ान" का ख़िताब हासिल है, का चित्र उसके वास्तविक रूप और एंगल से सन २००८ में, अपने मोबाइल कैमरे से फ़ुरसत के पलों में लिया था। शुक्रिया)

Doobe ji ने कहा…

wahwahwahwah..........

गौतम राजऋषि ने कहा…

बोलती तस्वीरें और उबलते शब्द...

क्या खूब

shelley ने कहा…

wah kya balence hai. dono hi tasvire achchhhi hain.

सीमा रानी ने कहा…

DHANYAWAD BAWAL JI AAPKI SALAH BAHUT KAM AAI

समयचक्र ने कहा…

बढ़िया फोटो लगाई कमाल की जी
बबाल जी फ़िर मचा दिया धमाल जी

महाराज जी गजब का लिख रहे है
आप . कृपया नियमित लिखे.

महेंद्र मिश्रा
जबलपुर.

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

प्रस्तुति के लिए आभार

गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं सहित

Smart Indian ने कहा…

आपको आपके परिवार एवं मित्रों को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई!

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

बवाल जी
श्वान(पशु) और शिला(निर्जीव) के संतुलन का चित्र एक साथ प्रस्तुत कर के आप ने तीसरे यानी मानव (जीव) को भी संतुलित रहने का संदेश दिया है. सच है यदि मानव अपने आचरण और विवेक से संतुलित रहे तो वसुधैव कुटुम्बकं की उक्ति सार्थक हो सकती है . गणतंत्र की शुभ कामनाएँ.
- विजय