ब्ला॓गिस्ताँ के प्रियजनों,
निम्नलिखित प्रेम-पत्र, हमने अपनी गर्लफ़्रैण्ड को १४ फ़रवरी सन १९८८ को लिखा था। आप भी मुलाहिजा फ़रमाइए, हँसियेगा कतई नहीं---
प्रिय ............,
तुम्हें इतना सारा प्यार के जितना ......
राम को सीता से, कृष्ण को राधा से, जहाँगीर को अनारकली से, शाहजहाँ को मुमताज़ से,
रोमियो को जूलियट से, राँझा को हीर से, मजनूँ को लैला से, महिवाल को सोहनी से, इन्द्र को उर्वशी से, नल को दमयंती से......,
बहादुरों को तलवार से, नाविक को पतवार से, नर्तकी को पायल की झंकार से, कला को कलाकार से, अदा को अदाकार से, फ़न को फ़नकार से, दुश्मनी को तकरार से, मोहब्बत को इक़रार और इंतज़ार से, दिल को दिलदार से, योद्धा को धनुष की टंकार से.....,
पंथी को डगर से, बाँध को नहर से, सागर को लहर से, प्रदूषण को शहर से, निराश को ज़हर से, क़यामत को कहर से.....,
चावल को दाल से, मछुआरे को जाल से, पंछियों को डाल से, कंजूस को माल से,
बुढ़ापे को काल से, ठगों को चाल से, तबलची को ताल से, दलाली को दलाल से, मुसीबत को तंगहाल से, गायक को ख़याल से, चुंबन को गाल से.....,
चालक को गाड़ी से, सिक्ख को दाढ़ी से, स्त्रियों को मँहगी साड़ी से, पियक्कड़ों को ताड़ी से...,
पर्वतारोही को पहाड़ों की चोटी से, कुत्ते को बोटी से....,
मनुष्य को आज़ादी से, पोतों को दादी से, युद्ध को बरबादी से, युवाओं को शादी से...,
पराक्रम को हनुमान से, कर्ण को दान से, संगीत को कान से, बादशाहों को आन से, नवाबों को शान से, आदमी को जान से, भगत को भगवान से, शहीदों को बलिदान से, गाँधी को हिन्दुस्तान से....,
अंधविश्वासी को वहम से, गँजेड़ी को चिलम से, घायल को मलहम से, लेखक को क़लम से,
और जी हाँ आपको हम से .........................
..................................
प्यार है।
आप मेरी शाइरी, आपकी क़सम
जोड़ी मेरी आपकी ख़ूब रहेगी जम
आप मेरे साथ हैं, तो कुछ नहीं है ग़म
एक तन, एक दिल, एक जान हों हम
आप मेरी ज़िंदगी का नूर हो सनम
रात १२.०० बजे १४ फ़रवरी १९८८
जबलपुर
पूछिए के फिर क्या हुआ ?
अरे फिर होना क्या था, उस समय दोनों के घर वाले ही (राम सैनिक) बन गए।
बाद को हमने फिर प्रयास किया एक और अतिसुन्दर कन्या को यह पत्र देने का ---
संकोच ही करते रह गए भैया और उनकी शादी कहीं और तय कर दी गई।
ये इत्तेफ़ाक भी है कि उनकी और हमारी शादी एक ही तारीख़ और एक ही वक्त पर हुई।
और उन्हें अब तक पता नहीं
और अंत में जिन्हें ये ख़त दिया उन्हें उस ज़माने में हिन्दी ही नहीं आती थी, मगर
दिल की ज़बान भली भाँति समझती थीं वो....
जी हाँ ठीक समझे आप ..... बवालिन ही हैं ये
तुम्हें इतना सारा प्यार के जितना ......
राम को सीता से, कृष्ण को राधा से, जहाँगीर को अनारकली से, शाहजहाँ को मुमताज़ से,
रोमियो को जूलियट से, राँझा को हीर से, मजनूँ को लैला से, महिवाल को सोहनी से, इन्द्र को उर्वशी से, नल को दमयंती से......,
बहादुरों को तलवार से, नाविक को पतवार से, नर्तकी को पायल की झंकार से, कला को कलाकार से, अदा को अदाकार से, फ़न को फ़नकार से, दुश्मनी को तकरार से, मोहब्बत को इक़रार और इंतज़ार से, दिल को दिलदार से, योद्धा को धनुष की टंकार से.....,
पंथी को डगर से, बाँध को नहर से, सागर को लहर से, प्रदूषण को शहर से, निराश को ज़हर से, क़यामत को कहर से.....,
चावल को दाल से, मछुआरे को जाल से, पंछियों को डाल से, कंजूस को माल से,
बुढ़ापे को काल से, ठगों को चाल से, तबलची को ताल से, दलाली को दलाल से, मुसीबत को तंगहाल से, गायक को ख़याल से, चुंबन को गाल से.....,
चालक को गाड़ी से, सिक्ख को दाढ़ी से, स्त्रियों को मँहगी साड़ी से, पियक्कड़ों को ताड़ी से...,
पर्वतारोही को पहाड़ों की चोटी से, कुत्ते को बोटी से....,
मनुष्य को आज़ादी से, पोतों को दादी से, युद्ध को बरबादी से, युवाओं को शादी से...,
पराक्रम को हनुमान से, कर्ण को दान से, संगीत को कान से, बादशाहों को आन से, नवाबों को शान से, आदमी को जान से, भगत को भगवान से, शहीदों को बलिदान से, गाँधी को हिन्दुस्तान से....,
अंधविश्वासी को वहम से, गँजेड़ी को चिलम से, घायल को मलहम से, लेखक को क़लम से,
और जी हाँ आपको हम से .........................
..................................
प्यार है।
आप मेरी शाइरी, आपकी क़सम
जोड़ी मेरी आपकी ख़ूब रहेगी जम
आप मेरे साथ हैं, तो कुछ नहीं है ग़म
एक तन, एक दिल, एक जान हों हम
आप मेरी ज़िंदगी का नूर हो सनम
रात १२.०० बजे १४ फ़रवरी १९८८
जबलपुर
पूछिए के फिर क्या हुआ ?
अरे फिर होना क्या था, उस समय दोनों के घर वाले ही (राम सैनिक) बन गए।
बाद को हमने फिर प्रयास किया एक और अतिसुन्दर कन्या को यह पत्र देने का ---
संकोच ही करते रह गए भैया और उनकी शादी कहीं और तय कर दी गई।
ये इत्तेफ़ाक भी है कि उनकी और हमारी शादी एक ही तारीख़ और एक ही वक्त पर हुई।
और उन्हें अब तक पता नहीं
और अंत में जिन्हें ये ख़त दिया उन्हें उस ज़माने में हिन्दी ही नहीं आती थी, मगर
दिल की ज़बान भली भाँति समझती थीं वो....
जी हाँ ठीक समझे आप ..... बवालिन ही हैं ये
और इसलिये तब से अब तक यही साथ देती रहीं और आगे भी संभावना नज़र तो आ रही है, अगर हमने ये ख़त किसी और को नहीं दिया तो .....हा हा
आप सभी को वेलेण्टाइन डे पर बहुत बहुत मुबारकबादियाँ
34 टिप्पणियां:
लिखा जो ख़त तुझे वो तेरी याद में वो भी १४ वर्ष के बाद . गजब हो महाराज . बधाई .
आपके चिठ्ठे की चर्चा मेरे ब्लॉग समयचक्र पर .
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : वेलेंटाइन, पिंक चडडी, खतरनाक एनीमिया, गीत, गजल, व्यंग्य ,लंगोटान्दोलन आदि का भरपूर समावेश
बवाल, उसे हिन्दी न आने का प्रभाव है जो इतनी दिलेरी से लिख गये. आज अनुवाद करके सुनाऊँगा ..हा हा!! मुबारक हो भई मुबारक हो..बड़ा ही उम्दा पत्र रहा...तब ब्लॉगिंग नहीं करते थे वरना यह कैसे छूट जाता कि चिट्ठी को चिठ्ठाकार से और टिप्पणी को टिप्पणीकार से ?? :)
बहुत सुन्दर, प्रेम दिवस की शुभकामनाएं
---
गुलाबी कोंपलें
शादी की सालगिरह मुबारक हो! मियाँ, क्या लाजवाब खत है। इतने काफिये सहेज ले तो शायर हो जाए। खानाआबादी क्या खाक़ होगी? लगता है वह खत भाभी ने पढ़ा ही नहीं था।
और मुहब्बत की यह सालगिरह भी मुबारक। भला हो संत वैलेण्टाइन का जो खाना आबादी के लिए लड़े।
क्या बात है। सालगिरह की बधाई। जोड़ी सलामत रहे। इसको जरा अपनी आवाज में गाकर सुनाइये तब मजा आये पूरा!
" wish u both happy loving day....and dear "Niharika" i will send you the english translation of what your beloved wrote for you years ago ha ha ha ha ha ha "
Regards
आपके जीवन मैं और उपमाएं भी जुड़ें .. यद्यपि पत्र आपका अन्तरंग है ...फिर भी पढ़कर अच्छा लगा..
ख़त का क्या; ख़ता कर ही चुके हैं सुन्दर सी। उसकी बधाई!
itna jabardast patra padhna to door dekhkar hi wo behosh hone lagi hongi, aapki unka sar chakraya gaya hoga aur aapne samajh liya hoga ki maun sweekriti ka lakshan hai, lekin koi baat nahi, fans gaye to darna kya, fanse raho guru.
वाह आप दोनों की बधाई .सुंदर यादे हैं
शादी की सालगिरह मुबारक हो बवाल मिंया, चलिये आप का खत बेकार तो नही गया,इसी लिये कहते है कोशिश करते रहना चाहिये आखिर कामजाबी जरुर मिलती है, बहुत जबर्दस्त ओर सुंदर लगा आप का यह खत.
धन्यवाद
ऎ बवाल भाई, हमें सुविज्ञ सूत्रों से ख़बर मिल चुकी है कि बवालिन भाभी कर्नाटक के उसी मंगलौर शहर की हैं जहाँ राम सेना ने अभी अभी वेलेण्टाइनों के साथ जमकर बवाल मचाया है। और जिसकी वजह से हिन्दुस्तान भर में बवाल मच गया है। कुछ दिन पहले ही आपने अपने मायके जबलपुर की ज़ोरदार बवाली पैरवी की थी। हा हा ।
मतलब आप दोनों के मायके भी बवाल ससुराल भी बवाल। हा हा हा । तो इस प्यारे से लवलैटरवा के पीछे ये है चक्करवा क्यों ?
बबाल जी
आपकी यह पोस्ट सुबह अच्छी तरह से नही पढ़ पाया था . ध्यान से पढ़ा तो बबाल जी और बबालिन ओह भाभीजी समझ में आया और तीसरी इन्द्री बोली भाई मै तो भाभी जी मिल चुका हूँ . नमस्ते कहियेगा भाई जी . एकाद दिन आपकी और भाभीश्री की संयुक्त रचना प्रस्तुत जरुर करे. आज तो अपने पहले चिठ्ठे की बात बताई .आगे एकाध रचना हो जाए तो जोरदार रहेगा . हैप्पी वेलेंटाइन . प्रेम पुष्प सदा आप पर बरसते रहे .
20 saal pahle yeh kavita blog par post kar dete to....
'Happy Vallentine Day'.
पहले तो शादी के सालगिरह की करोड़ो बधाइयाँ और फिर ब्रह्माम्ड के इस एकदम अनूठे प्रेम-पत्र का तो जवाब ही नहीं ...वाह
वकील साब---वाह
बवाल जी
" लिखा जो ख़त तुझे " आलेख और निरली कविता में मज़ा आ गया,
आपको इस दोहरे सुखद अवसर पर हमे ढेर सारी शुभ कामनाये..
-विजय
अनूप जी की डिमांड हमारी भी समझी जाये, अपनी आवाज में इसे छापें।
हम तो निरे निपट भौंदू थे तब
भाई हम न तो इज़हारे तमन्ना कर पाए न ही गुलाब भेज सके बवाल जी
बस जब सुलभा आ गयीं तो बस वे ख़ुद लें आयीं मुस्कुराते फूल आज तलक
मौज ही मौज है दादा .....
हम इज़हार-ए-तमन्ना नहीं करते
इज़हार-ए-तमन्ना का इक अंदाज़ ये भी है...!!
bahut sundar.....
अरे ज़नाब बहुत खूब , मज़ा आगया आपका ब्लॉग देख कर .
वाकई जवाब नहीं है आपका, आपके लेखन का. कलम में जान है. जो दिल में उतर कर नशा देती है भाई.
पहले बार आया आपकी कलम के जादूखाने में ओर सम्मोहित होगया.
dhnyavaad bavalji, aapne mujhe tippani di aour meri kavitao ko pada, mere lokhnaa saarthak ho gaya,aap jese logo ki vajah se hi aaz sahitya zinda he..es baar fir dil se dhnyavaad, aate rahiyega...koshish karoonga achcha likhne ki,,aap saath dete rahiye bs.
Apki rachanaon ki khasiyat hi hai alag hat kar rahana. prem pati bhi aloukik hai. bhoot khoob.
vaah kamaal kee post
बहुत सुंदर .
बधाई
इस ब्लॉग पर एक नजर डालें "दादी माँ की कहानियाँ "
http://dadimaakikahaniya.blogspot.com/
wah........doobeyji doob gaye .....apki valentine post padh kar.....
wah........doobeyji doob gaye .....apki valentine post padh kar.....
हमाओ नाम सुई डाल लियो
अपनी लिस्ट में भैया जी
हम हेमराज नामदेव् "राज़ सागरी "
कहात हैं
बवाल भाई जरा क्षमा करियेगा आपकी ये पोस्ट हमारे ब्लाग पर दिखी ही नही थी सो शादी और मुहब्बत की साल गिरह की बधाई लेट दे रहे हैं. कबूल लो भाई.
अगर नही पढते तो इतने सारी उपमाओं को पढने से वंचित रह जाते. क्या लाजवाब खत लिखा आपने भी. बवाल भाई का ही कमाल हो सकता है ये तो.
रामराम.
LOL
speechlees
soch raha hoon apka patr note karke kisi ko de hi du.kamaal ka patr .badhai ho tumhe aur tumhare pyar ko.
mubarakbaadiyaan! badhti rahe abaadiyan!
कल 14/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
:):) ज़बरदस्त खत है ॥
प्यार..........जैसे...'स्त्रियों को मँहगी साड़ी से'...अब कोई शक नही आपके प्यार पर..इतना सच्चा प्यार तो और किसी का हो ही नही सकता जितना आपका .......और कभी खत्म नही होने वाला..गहराता जायेगा.हमारे साडी-प्रेम की तरह
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