वैसे ज़रा "मुकुल" भाई के द्वारा रचित ये सुन्दर चतुश्पदियाँ देखिए। हमें तो ये कहीं से अधूरी नहीं लगीं :-
माना कि मयकशी के तरीके बदल गए
साकी कि अदा में कोई बदलाव नहीं है!
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
ये पाँच साल का कोई चुनाव नहीं है ?
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गिद्धों से कहो तालीम लें हमसे ज़रा आके
नौंचा है हमने जिसको वो ज़िंदा अभी भी है
सूली चढाया था मुंसिफ ने कल जिसे -
हर दिल के कोने में वो जीना अभी भी है !
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यूँ आईने के सामने बैठते वो कब तलक
मीजान-ए-खूबसूरती, बतातीं जो फब्तियां !
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मगर अब जब आप सब प्रियजन इतना फ़ोर्स कर ही रहे हैं, तो लीजिए कुछ इस तरह से इनमें हम भी शामिल हुए जाते हैं जी---
मगर अब जब आप सब प्रियजन इतना फ़ोर्स कर ही रहे हैं, तो लीजिए कुछ इस तरह से इनमें हम भी शामिल हुए जाते हैं जी---
माना कि मैकशी के तरीक़े बदल गए
साक़ी कि अदा में कोई, बदलाव नहीं है !
गर इश्क़ है तो इश्क़ के मानिंद कीजिये
ये पाँच साल का कोई, चुनाव नहीं है !!
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गिद्धों ज़रा तालीम लो, फिर से कहीं जाके,
नोंचा था तुमने जिसको परिंदा, अभी भी है !
सूली चढ़ा दिया था जी, मुंसिफ़ ने कल जिसे,
वो दिल के कोने में कहीं ज़िंदा, अभी भी है !!
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यूँ आईने के सामने, टिकते वो कब तलक ?
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यूँ आईने के सामने, टिकते वो कब तलक ?
मीज़ान-ए-हुस्न कस रहा था उनपे फब्तियाँ !
फबने का ज़माना भी था, उनका कभी कहीं,
पर अब तो सज रही हैं, झुर्रियों की ख़ुश्कियाँ
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आग़ाज़ को अंजाम पे, आने तो दीजिए
दिल में ज़रा बवाल, मचाने तो दीजिए
है इश्क़ में अब भी हमारे, वो ही दम-ओ-ख़म
नज़रों से नज़र आप, मिलाने तो दीजिए
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मुकुलजी, समीरलाल जी, सीमा गुप्ता जी और ताऊ रामपुरिया जी के साथ-साथ सभी ब्ला॓गर बंधुओं को इस प्रिय आग्रह के लिए बहुत बहुत आभार सहित
फबने का ज़माना भी था, उनका कभी कहीं,
पर अब तो सज रही हैं, झुर्रियों की ख़ुश्कियाँ
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आग़ाज़ को अंजाम पे, आने तो दीजिए
दिल में ज़रा बवाल, मचाने तो दीजिए
है इश्क़ में अब भी हमारे, वो ही दम-ओ-ख़म
नज़रों से नज़र आप, मिलाने तो दीजिए
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मुकुलजी, समीरलाल जी, सीमा गुप्ता जी और ताऊ रामपुरिया जी के साथ-साथ सभी ब्ला॓गर बंधुओं को इस प्रिय आग्रह के लिए बहुत बहुत आभार सहित
---बवाल
27 टिप्पणियां:
बहुत बढिया पोस्ट है।पढ कर आनंद आ गया।आभार।
वाह वाह बवाल भाई ये हुआ सोने पे सुहागा. मजा आगया आप की इस जुगलबंदी में.बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
यूँ आईने के सामने, टिकते वो कब तलक ?
मीज़ान-ए-हुस्न कस रहा था उनपे फब्तियाँ !
फबने का ज़माना भी था, उनका कभी कहीं,
पर अब तो सज रही हैं, झुर्रियों की ख़ुश्कियाँ
waah kamal kar diya,bahut khub
वाह! बवाल भाई, क्या बात है
दो लफ्जों से चांद चार लगा दिए
था अधूरा छोड़ा जब मुकुल ने
कलम ने बवाल की दो बना दिए
खुदा ने अधूरा भेजा था धरती पर
निगाहों से अपनी, तुमने पूरा बना दिया
जरा सा अंदाज ही तो बदला है, वाह! क्या बात है...
-छा गये भई बवाल!! बहुत खूब!!
बड़े भाई नमस्कार,
क्या अंदाजे बयां किया आपने,
दर्द होतो निमो-हाकिम क्यूँ जाए कोई
बवाल घर में है बस आजमाए कोई ....
ये शे'र आपके लिए है ...
मजा आगया पढ़के आपको...
आपका
अर्श
ज़ोरदार रूबाइयाँ कस दीं
--
गुलाबी कोंपलें
सरकारी नौकरियाँ
आपसे की गयी गुजारिश पर मेरी भी निगाह पडी थी --मगर लोग बाग चूंकि हुनरमंदों की जान का बवाल बने ही रहते हैं इसलिए मैंने उसे इग्नोर ही किया था ! मगर अब देखता हूँ कि कई बड़ी हस्तियों की सिफारिश पहले ही हो चुकी है -मैं तो रह गया पर आज आपके अंदाजे बयाँ ने कसर दूर कर दी -नजर से नजर मिला कर ! वाह !
लाजवाब वकील साहब....लाजवाब
पर अब तो सज रही हैं, झुर्रियों की ख़ुश्कियाँ
क्या खूब सर
और मुकुल जी को इन पंक्तियों के लिये दिल से करोड़ों दाद "गिद्धों ज़रा तालीम लो, फिर से कहीं जाके,
नोंचा था तुमने जिसको परिंदा, अभी भी है"
बढ़िया। खूब जमा जबाबी कीर्तन!
थोडा बवाल को बवाल सजाने तो दीजिये
अंज़ाम को अंज़ाम तक आने तो दीजिये
है आज़ भी नाज़ उनको अपने हुनर पर
कुछ ज़ाम नज़रों से भी पिलाने तो दीजिये
अरे मियाँ आप हियाँ बवाली मचाये हुए हैं ! कल हम निकले थे सैर पे कई दिनों बाद. आप नज़र नहीं आए .... मेरी ही नज़र कमज़ोर है .... बुढापे की है क्या करें.
आगाज़ के अंजाम पे आने तलक मियाँ
दिल में बवाल वो है कि दिल ही न रहेगा
पढ कर आनंद आ गया।आभार
बहुत उत्तम एवं आनंददायी
आग़ाज़ को अंजाम पे, आने तो दीजिए
दिल में ज़रा बवाल, मचाने तो दीजिए
है इश्क़ में अब भी हमारे, वो ही दम-ओ-ख़म
नज़रों से नज़र आप, मिलाने तो दीजिए
" वाह वाह ...अब बनी ना कोई बात......"
Regards
समयचक्र: चिठ्ठी चर्चा : चिठ्ठी लेकर आया हूँ कोई देख तो नही रहा हैबहुत अच्छा जी
आपके चिठ्ठे की चर्चा चिठ्ठीचर्चा "समयचक्र" में
bahoot khoob janab...
aapke kya kahne esa lagta he mano shabd aapke saath khelte he...
is behtreen gazal ke baad kese naa kahe..waaaaah janaaaab waaaah
वाह बवाल भाई, आनंद आ गया!
wah wah wah ........apne kuch adhure cartoons bhej raha hun unhe bhi poora kar dijye. bawal ji badhai girish ji badhai.
माना कि मयकशी के तरीके बदल गए
साकी कि अदा में कोई बदलाव नहीं है!
गर इश्क है तो इश्क की तरहा ही कीजिये
ये पाँच साल का कोई चुनाव नहीं है ?
इस एक शेर ने बहुत सारी बाते कह दी है । क्या लाजबाब लिखा है आपने मुझे बहुत पसंद आया है ।बहुत-बहुत धन्यवाद
टिप्पणी का बहुत धन्यवाद और होली की अग्रिम शुभकामनाएं .
bade bhai namaskar,
आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से होली की ढेरो बधईयाँ और शुभकामनाएं.... गुजिया और जलेबी के साथ...बधाई
अर्श
LAGTA HAI JO YE KAH RAHAA....KUCH DEKHTA BHEE HAI !VARNA VO KYOON VO KAHTA ...........JISE KAH RAHA THA MAIN ?
GURU !
PATA NAHEEN THA KI BLOG SWAMEE KEE SWEEKRIT AAPKE BLOG PE BHEE JAROOREE HOTEE HAI !
अति सुंदर,आप सभी को होली की ढेरो शुभकामनाएं।
waah janaab bahoot khoob....
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