बुधवार, 11 मार्च 2009

आज सबके रंग ही उड़ जाएंगे........(लाल-और-बवाल .. जुगलबंदी)

हमें, याने मुझे और बवाल को पूरा होश है कि यह कोई वक्त नहीं ब्लॉगपोस्ट करने का। जिस वक्त सब होली के रंग में डूबे हों, भांग की पिनक में अजूबे हों और उस वक्त आप लट्ठ लेकर खड़े हो जायें कि हम लिखे हैं, पढ़ो, कितनी ग़लत बात कई लोग नहीं समझते, आप देख ही रहे हैं यहाँ मगर हम समझते नहीं समझ बैठते हैं

लेकिन समझ कर भी करें क्या? चुनाव का माहौल है तो नेता टाईप बिना सोचे समझे उड़न तश्तरी पर घोषणा कर दिये थे कि ११ तारीख को यहाँ अब बुला लिए हैं तो खाली हाथ बैरंग लौटाना हम जबलपुरियों का संस्कार नहीं है। कुछ तो सुनायेंगे-पढ़ायेंगे ही

पुनः जैसा कि वादा था कि बवाल का होलियाना बवाल सुनवायेंगे तो वो कार्यक्रम कल ही आज तो बस पढ़ ही लें, सुनने फिर आ जाइएगा आने जाने में कोई ख़र्च थोड़े ही लगता है। हाँ, मेहनत का सम्मान है और उसके लिए साधुवाद.

एक वाकियायाद आता है। कारण याद आने का कि एक तो चुनाव सामने हैं और दूसरा आप लोग हमारे ब्लॉग पर आने के लिए मेहनत में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं

जंगल में एक बंदर इस बात से परेशान था कि हर बार शेर ही क्यूँ राजा बने, मैं क्यूँ नहीं? ( अपने ब्लॉगजगत में भी कई ऐसे बंदर हैं)

बस, इस मेनिफेस्टो पर चुनाव लड़ गया और जैसा कि होता है परिवर्तन का अहसास सुखद होता है भले ही परिवर्तन असहनीय हो, बंदर राजा चुन लिया गया।( उपर प्रदेश में बहन जी भी साक्षात उदाहरण हैं) शेर अपने में मस्त, बिना फिक्र बकरी के बच्चे को उठा ले गया खाने के लिए. बकरी मिमियाती भागी नये राजा बंदर के पास.

बंदर तुरंत साथ चला और जहाँ शेर बच्चे को ले गया था, वहाँ जाकर इस पेड़ से उस पेड़, उस पेड़ से इस पेड़..पसीना पसीना..हैरान परेशान..कूदना शुरु। शेर बिना किसी चिन्ता के बच्चे को मारता रहा और खा गया और फिर घने जंगल में निकल गया. बंदर पेड़ से उतर कर रोती बकरी के पास आया.

बकरी बोली-आप मेरे बच्चे को बचा नहीं पाये!!

बंदर ने उससे कहा कि बच्चा बचा या नहीं बचा, उसे छोड़ो। तुम तो यह देखो कि क्या मैने मेहनत में कोई कसर छोड़ी??...इस पेड़ से उस पेड़॥उस पेड़ से इस पेड़. पसीना पसीना..हैरान परेशान..भागता रहा तुम्हारे कारण..बकरी भी संतुष्ट हो गई और आँसूं पोंछ कर घर चली गई.

ऐसे ही बंदर राजाओं से भारत चल रहा है और हम हर हादसे पर आँसूं पोंछ कर घर आ जाते हैं अगले हादसे का इन्तजार करते जब यह बंदर फिर कूदेंगे।

हमारे राजा: बजा दें बाजा

खैर, जाने दिजिये..होली है, तो मस्त हो लिजिये...ऐसे ही यहाँ जिन्दगी कटती है..वरना तो जीना मुश्किल हो जाये..हम तो खुद अभी कुछ देर में रंगे हुए ठंडाई पी कर बवाल संग टनाक हो जायेंगे फिर दो एक दिन में ही दिख पायेंगे . तब तक यह रचना पढ़ें और गा कर देखें:


आज सबके रंग ही उड़ जाएँगे
सब हमारे रंग में ही रंग जाएँगे

सरहदों के पार भी हम जाएँगे
रंग अबकी बार उनको आएँगे

क़त्लगाहों को बदलकर बाग़ों में
रंगे-ख़ूँ पर रंगे-गुल चढ़वाएँगे

हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई चार रंग
ख़ूँ के रंग पर एक ही कहलाएँगे

बज़्म की तस्वीर बेरंग है तो क्या
बनके हम ख़ुशरंग फिर छा जाएँगे

हिन्द के रंगों से चुपके-चाप से
गाल दुनिया भर के रंगे जाएँगे

यूँ न पूछें रंग क्या है प्यार का
मुर्दगी को ज़िन्दगी कर जायेंगे

गर वफ़ा में रंग देखें आपका
प्यार को फिर बन्दगी कह जायेंगे

रंग मे भंग घुँट्वा के ये लाल-औ-बवाल
सब पे रंगीला नशा कर जाएँगे

होली महापर्व की बहुत बहुत बधाई एवं मुबारक़बाद !!!

28 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

हम तो भैय्या टुन्न होकर भूनसरे से कमेंट्स दे रहे है . क्या गजब कर रियो हो भैय्या .

रंगों के पर्व होली के अवसर पर आपको और आपके परिवारजनों को हार्दिक शुभकामनाये.

Reagards

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

होली पर बहुत, बहुत सीरियस हो लिए। अब तो सुबह हो चुकी है। जल्दी से तैयार हो जाइए हम रंग गुलाल ले कर पहुंच ही रहे हैं। याद रहे ठंडाई वगैरा तैयार रहे। मुहूर्त यहीं से हो रहा है।

अनूप शुक्ल ने कहा…

पहला माल दो नम्बरी है। नीचे वाले में मसाला/मिर्च ज्यादा है। होली मुबारक हो खैर!

"अर्श" ने कहा…

बड़े भैया को नमस्कार और जय हो ,
सबसे पहले तो होली की ढेरो बधाईयाँ और शुभकामनाएं.. आपको तथा आपके पुरे परिवार को मेरे तरफ से.. भाभी जान को भी सलाम कहे खास तौर से ....क्युनके आज तो होली है और देवर भैभी में तो होली होनी ही है...हा हा हा
आपने बिलकुल सही फ़रमाया के हमारा देश इन्ही तरह के बंदरों से चल रहा है और लोग खुद बा खुद अपने आंसू पोछ का शांत हो जाते है... साथ में बहोत ही सुन्दर रचना लिखा है आपने... फिर से ढेरो बधाई;और शुभकामनाएं...

अर्श

अमिताभ मीत ने कहा…

होली मुबारक़ हो मालिक !

Vinay ने कहा…

waah ji waah mahaul ban gaya, happy holi!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

होली के दिन बिचारे बंदर की काहे राजगद्दी छिनवा रहे हैं जी? खाम्खा लोगों को भडका रहे हैं. हमारी बिरादरी कम से कम उछल कूद करने साथ तो चली जाती है. दूसरे साथ जाना तो दूर किसी को पास भी ना फ़टकने दे चुनाव के बाद.:)

बहुत सौम्य व्यंग रहा.

आपको और बवाल भाई दोनो को परिवार सहित होली की घणी रामराम.

L.Goswami ने कहा…

होली की ढेरों शुभकामनायें.

manvinder bhimber ने कहा…

राग रंग .........होली की बहुत बहुत बधाई

शोभित जैन ने कहा…

लगता है होली की भंग अभी ठीक से चडी नहीं...तभी तो पानी के कुंड की जगह कविता के कुंड में गोते लगा रहे हो....वैसे ये रंग तो और भी चटख है....

रंजू भाटिया ने कहा…

होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

मुबारक हो जी। हम तो इस बन्दर के माफिक फोन से लटक रहे हैं!

प्रवीण त्रिवेदी ने कहा…

होली कैसी हो..ली , जैसी भी हो..ली - हैप्पी होली !!!

होली की शुभकामनाओं सहित!!!

प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर

Sudhir (सुधीर) ने कहा…

विचारणीय विषय आपने होली की मस्ती को भी गंभीर रंग दे दिया....होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।

RAJ SINH ने कहा…

yugal bandhuo,
holee mubarak !

poore desh me prem rang pahunche aapka.

aap kee shan me ek poora blog hee naya khol diye hain ' tadkaa'.dal rotee khana ho to aa jana.

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" ने कहा…

बिल्कुल सदाबहार व्यंग्य.......बेहतरीन कटाक्ष

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत ही सुंदर रचना.
धन्यवाद
आपको और आपके परिवार को होली की रंग-बिरंगी ओर बहुत बधाई।बुरा न मानो होली है। होली है जी होली है

seema gupta ने कहा…

गर वफ़ा में रंग देखें आपका
प्यार को फिर बन्दगी कह जायेंगे
होली की ढ़ेर सारी शुभकामनाएँ...

Regards

RAJ SINH ने कहा…

are yar jise dekho bhang thandhyee kee charcha kar raha hai ! ham abhage bharat me ho ke bhee ' shiv kripa ' se mehroom rahe holee me . anarya paan kar ' frust' HO rahe .

maharashtra me bandee hai VIJAYA PE .abhage hain idhar wale .vaise ye daroo lobby kee badmashee hai . sarvottam paan chod adham paan kar rahe hain.

jaanta ki holee me bhee yahan durlabh hai to kashee vash hee kar leta holee me .

khair parinaam samne hai ! TARANG BINA KUCH GHATIYA CHAUNK TADKA MARTE RAHE . FIR BHEE AAP JAISE ' PICHLAGGU ' PA DHANYA HOON .

AUR AAP KYA KHAK PICHLAGGU HAIN . PATA HAI AAP VO ENGINE HAI JO PEECHE SE TRAIN KO AAGE DHAKEL RAHA HAI .'PRISHTHA THELAK ' , SHUNTING VALE ANDAZ ME

TO,.......TO APAN BHEE 'CHALOO' HAIN .

LAGE HUYE HAIN ! AAPB BHEE LAGE RAHO .

AUR AAPNE KYA MAST RANG MARA HAI . KHAS KAR APNE SINGLE ' LAAL 'RANG SE HEE 'KHOONEE HOLEE' KHELNE VALE PADOSEE PE.ARE JABALIPUR 'SHRESHTHA', AAGE THODA DHAMKIYA BHEE DENA , KI BARKHURDARO PICHKAREE SE HEE MAAN JAOGE YA FIR HAM BHEE RANG VANG CHOD DESH KE TARANG ME TUMSE TUMHAREE 'PICHKAREE ' ME HEE KHEL DAALEN HOLEE.

AAP SAB KO HOLEE KEE FIR SHUBHKAMNA, NIVEDAN KE SAATH KI ' TARANG 'BANAYE RAKHEN AUR SERIOUSLY GUDGUDATE RAHEN .

APAN BHEE ......LAGE HUYE HAIN.

Puja Upadhyay ने कहा…

do din lage holi ka khumaar utarne me...aaj aapka baval dekha to bahut accha laga. sadhuvaad to samir ji dete hain, baki vah vah ham kar liye. bandar ki kahani badi acchi lagi.

mark rai ने कहा…

सुन्दर रचना लिखा है आपने... फिर से ढेरो बधाई;और शुभकामनाएं...

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

बवाल जी
अभिवंदन
एक सामयिक और भावनात्मक ग़ज़ल के लिए बधाई
शेर बहुत पसंद आया _
"यूँ न पूछें रंग क्या है प्यार का
मुर्दगी को ज़िन्दगी कर जायेंगे"

- विजय तिवारी 'किसलय '

sandeep sharma ने कहा…

kya baat hai bhaiya....

mazedar gujalbandi karte ho...

Prem Farukhabadi ने कहा…

यूँ न पूछें रंग क्या है प्यार का
मुर्दगी को ज़िन्दगी कर जायेंगे
bawaal bhai bahut achchha laga.
jai ho.

अनुपम अग्रवाल ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
अनुपम अग्रवाल ने कहा…

बन्दर ने आपका क्या बिगाडा है जो आपको उसका राज़ा बनना अच्छा नहीँ लग रहा .हा हा हा...

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

यूँ न पूछें रंग क्या है प्यार का
मुर्दगी को ज़िन्दगी कर जायेंगे

गर वफ़ा में रंग देखें आपका
प्यार को फिर बन्दगी कह जायेंगे
''''''''''''''''बहुत सुन्दर

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

भाई मुझे उलटा क्यों लटका दिया है
मै........ कोई:-"........." थोड़े हूँ ?
खैर छोड़िए मज़ा आ गया