मंगलवार, 22 सितंबर 2009

दिल में .............(बवाल)

वाह, क्या दीवान तेरा, नूर सा फबता हुआ !



जिसमें ख़ुद को पा रहा हूँ, तुझसे मैं कटता हुआ !!



ख़ैर दिल की बात दिल तक ही, रखूंगा यार अब !



और कर भी क्या सकूंगा, मोहरा हूँ पिटता हुआ !!



--- बवाल

15 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

न आए बात जुबाँ पर पढ़ ही लेते हैं दोस्त
दिल कोई गैर नहीं,है रिहाइश उन की वहीं

कह दिया है शैर तो नहीं है।

राज भाटिय़ा ने कहा…

बहुत सुंदर गजल. ओर आप को ईद मुबारक हो जी, आप के मन की मुरादे पुरी हो.
खुदा हाफ़िज

Udan Tashtari ने कहा…

क्या बात है...भई..


कहीं छूकर निकला है..
जाने क्या था, पता नहीं..
बस, एक अहसास....

अब कब दिखोगे?

अमिताभ मीत ने कहा…

इरशाद ! इरशाद ! बड़े दिनों बाद उगे भाई.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

वाह जी, बहुत सुंदर. ईद पर चांद तो निकला. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

नरेन्द्र सिंह ने कहा…

वाह !

क्या खूब अन्दाजे बयाँ है आपका !

mark rai ने कहा…

एक मोमबती ले निकली हूँ । घुप अँधेरी रात है ।
मेरे लिए नही यह कोई नई बात है । सारे जग में कर दूंगी उजाला ।
हिम्मत है तो रोक कर दिखाओं ।.......

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

और कर भी क्या सकूंगा, मोहरा हूँ पिटता हुआ !!
Waah !!
bahut khoob..

समयचक्र ने कहा…

बहुत ही बिंदास गजल .... ईद मुबारक हो .

Murari Pareek ने कहा…

मोहरा हूँ पिटता हुआ !! इतने हताश !! खैर ! रमजान मुबारक !! ईद मुबारक !

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

इष्टमित्रों और परिवार सहित आपको, दशहरे की घणी रामराम.

रामराम.

Prem Farukhabadi ने कहा…

ख़ैर दिल की बात दिल तक ही, रखूंगा यार अब !
बहुत सुंदर!!

Doobe ji ने कहा…

भाई बवाल जी
आपके अंगुलि लगाने मात्र से काम, बन गओ
अब अपनी "......."को सम्हाल के रखना

Satish Saxena ने कहा…

बहुत बढ़िया !! आपकी संवेदनशीलता को प्रणाम !

अनूप शुक्ल ने कहा…

क्या बात है जी! बहुत खूब! पिटते हुये मोहरे ने पीट के रख दिया।