बवाल भाईजान, अस्स्लामुअलैकुम। परसों ही आपकी चर्चा हो रही थी, भोपाल में हमारी मंडली में एक सज्जन ब्लागर हैं जिन्होंने ही हमें हिन्दी ब्लाग साथ साथ आपके बारे में भी बताया। उन्होंने आपकी कव्वाली भी सुनी है और वे आपकी बुलंद आवाज के कायल हैं। उन्होंने बतलाया कि आप उर्दू के साथ साथ हिन्दी गीत भी कव्वाली की तर्ज पर गाते हैं मगर सिर्फ़ साहित्य। बहुत अच्छा लगा इसी वजह से आपके ब्लाग पर आया। आप बहुत ऊँची बात करते हैं सर। आपको पढ़ने की और सुनने की उत्सुक्ता जाग गई है। ---आपका विश्वेश्वर राठौर
26 टिप्पणियां:
आह !
बवाल भाई, बवाल भाई, बवाल भाई क्या बात कह गए यार ।
बाप रे !!
दिल के किस कोने उजागर कर रहे हो आज आप ?
ओह!! यह टूटन...क्या बात है बवाल!! शानदार!!
मैं किसे कहूं, मेरे साथ चल,
यहां हर सर पे सलीब है,
कोई दोस्त है न रकीब है,
तेरा शहर कितना अज़ीब है...
जय हिंद...
वाह बवाल भाई वाह
काश, दिल का दर्द तू, पहले बता देता कभी !
क्या मैं तेरे सामने, ज़िंदा नहीं होता अभी ??..
भइया, मस्त-मस्त.
बहुत अजीब लगता है जब कोई अपने मरने की घोषणा करता है।
जे कौन सी बात है ...टूटन मत दो जोड़न दो भाई जी ... बढ़िया भावपूर्ण
गजब का चाल्हा कर दिया बवाल साह्ब.
रामराम.
कहीं बसू साहब की याद में तो
शुक्रिया सरकार
बवाल भाईजान,
अस्स्लामुअलैकुम।
परसों ही आपकी चर्चा हो रही थी, भोपाल में हमारी मंडली में एक सज्जन ब्लागर हैं जिन्होंने ही हमें हिन्दी ब्लाग साथ साथ आपके बारे में भी बताया। उन्होंने आपकी कव्वाली भी सुनी है और वे आपकी बुलंद आवाज के कायल हैं। उन्होंने बतलाया कि आप उर्दू के साथ साथ हिन्दी गीत भी कव्वाली की तर्ज पर गाते हैं मगर सिर्फ़ साहित्य। बहुत अच्छा लगा इसी वजह से आपके ब्लाग पर आया। आप बहुत ऊँची बात करते हैं सर। आपको पढ़ने की और सुनने की उत्सुक्ता जाग गई है।
---आपका विश्वेश्वर राठौर
दोस्त तेरी महफ़िलों से, जी मेरा, ले भर गया
मैं जनाज़ा हो चला, ऐलान कर दे, मर गया
बहुत सुंदर शेर, लेकिन कही दिल को कही ठेस तो नही लगी
बहुत सुंदर..... आपने तो सच में बवाल लिख दिया....
चार लाइनों में गहरी बात कह दी आपने बवाल भाई ...... बहुत खूबसूरत शेर कहा है ..........
सादर अभिवादन
आप मेरे एलबम लांचिंग में थे
यहाँ देखकर ख़ुशी हुई
आदाब !
मेरी महफिल से ये ज़ी भरना
सुन के गो मै चुप रहा
पर सुना होगा ये तूने
कि इस जहाँ ने क्या कहा
बहुत सुन्दर.... आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर.... आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
क्या बात है बवाल साहब । बहुत खूब ।
अनोखा शेर है यह अपने को जनाजा घोषित करने वाला ।
शुभकामनायें स्वीकारें !
बवाल जी
दोनों शेर दिल की गहराई में उतरते चले गए.
- विजय
दोस्त तेरी महफ़िलों से, जी मेरा, ले भर गया
मैं जनाज़ा हो चला, ऐलान कर दे, मर गया
kya bauwaal lekhte hain aap..
bahut khoob !!
janm din kee shubh kamanayen
fon n uthane se mujhe koi etaraz naheen kintu fir bhee......?
काश, दिल का दर्द तू, पहले बता देता कभी !
क्या मैं तेरे सामने, ज़िंदा नहीं होता अभी ??
kya kashish hai sher mein ..wah
laajavab
Badhia!!
"RAM"
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