सोमवार, 18 जनवरी 2010

मैं जनाज़ा हो चला.............................(बवाल)

दोस्त तेरी महफ़िलों से, जी मेरा,   ले भर गया

मैं जनाज़ा हो चला, ऐलान कर दे,   मर गया



काश, दिल का दर्द तू, पहले बता देता कभी !

क्या मैं तेरे सामने, ज़िंदा नहीं होता अभी  ??

26 टिप्‍पणियां:

शशिकान्त ओझा ने कहा…

आह !
बवाल भाई, बवाल भाई, बवाल भाई क्या बात कह गए यार ।
बाप रे !!
दिल के किस कोने उजागर कर रहे हो आज आप ?

Udan Tashtari ने कहा…

ओह!! यह टूटन...क्या बात है बवाल!! शानदार!!

Khushdeep Sehgal ने कहा…

मैं किसे कहूं, मेरे साथ चल,
यहां हर सर पे सलीब है,
कोई दोस्त है न रकीब है,
तेरा शहर कितना अज़ीब है...

जय हिंद...

विवेक रस्तोगी ने कहा…

वाह बवाल भाई वाह

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

काश, दिल का दर्द तू, पहले बता देता कभी !

क्या मैं तेरे सामने, ज़िंदा नहीं होता अभी ??..
भइया, मस्त-मस्त.

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत अजीब लगता है जब कोई अपने मरने की घोषणा करता है।

समयचक्र ने कहा…

जे कौन सी बात है ...टूटन मत दो जोड़न दो भाई जी ... बढ़िया भावपूर्ण

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

गजब का चाल्हा कर दिया बवाल साह्ब.

रामराम.

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

कहीं बसू साहब की याद में तो

चिट्ठी चर्चा : आज जबलपुर के पांच ब्लागर भाइयो की चर्चा ने कहा…

शुक्रिया सरकार

बेनामी ने कहा…

बवाल भाईजान,
अस्स्लामुअलैकुम।
परसों ही आपकी चर्चा हो रही थी, भोपाल में हमारी मंडली में एक सज्जन ब्लागर हैं जिन्होंने ही हमें हिन्दी ब्लाग साथ साथ आपके बारे में भी बताया। उन्होंने आपकी कव्वाली भी सुनी है और वे आपकी बुलंद आवाज के कायल हैं। उन्होंने बतलाया कि आप उर्दू के साथ साथ हिन्दी गीत भी कव्वाली की तर्ज पर गाते हैं मगर सिर्फ़ साहित्य। बहुत अच्छा लगा इसी वजह से आपके ब्लाग पर आया। आप बहुत ऊँची बात करते हैं सर। आपको पढ़ने की और सुनने की उत्सुक्ता जाग गई है।
---आपका विश्वेश्वर राठौर

राज भाटिय़ा ने कहा…

दोस्त तेरी महफ़िलों से, जी मेरा, ले भर गया

मैं जनाज़ा हो चला, ऐलान कर दे, मर गया
बहुत सुंदर शेर, लेकिन कही दिल को कही ठेस तो नही लगी

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

बहुत सुंदर..... आपने तो सच में बवाल लिख दिया....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

चार लाइनों में गहरी बात कह दी आपने बवाल भाई ...... बहुत खूबसूरत शेर कहा है ..........

Abhasjoshi ने कहा…

सादर अभिवादन
आप मेरे एलबम लांचिंग में थे
यहाँ देखकर ख़ुशी हुई

अमिताभ मीत ने कहा…

आदाब !

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

मेरी महफिल से ये ज़ी भरना
सुन के गो मै चुप रहा

पर सुना होगा ये तूने
कि इस जहाँ ने क्या कहा

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बहुत सुन्दर.... आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

प्रसन्नवदन चतुर्वेदी 'अनघ' ने कहा…

बहुत सुन्दर.... आपको गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

Asha Joglekar ने कहा…

क्या बात है बवाल साहब । बहुत खूब ।
अनोखा शेर है यह अपने को जनाजा घोषित करने वाला ।

Satish Saxena ने कहा…

शुभकामनायें स्वीकारें !

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

बवाल जी
दोनों शेर दिल की गहराई में उतरते चले गए.
- विजय

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

दोस्त तेरी महफ़िलों से, जी मेरा, ले भर गया
मैं जनाज़ा हो चला, ऐलान कर दे, मर गया

kya bauwaal lekhte hain aap..
bahut khoob !!

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

janm din kee shubh kamanayen
fon n uthane se mujhe koi etaraz naheen kintu fir bhee......?

निर्झर'नीर ने कहा…

काश, दिल का दर्द तू, पहले बता देता कभी !

क्या मैं तेरे सामने, ज़िंदा नहीं होता अभी ??

kya kashish hai sher mein ..wah
laajavab

Gautam RK ने कहा…

Badhia!!




"RAM"