एक अंतराल के बाद जबलपुर पहुँच फिर जमी महफ़िल लाल और बवाल की और यह दौर यूँ ही चलता रहेगा रुबरु जब तक जबलपुर प्रवास जारी है.
कल कुछ मजेदार एवं यादगार समय बीता लाल और बवाल का गिरीश बिल्लोरे जी और सलिल समाधिया जी के साथ, जिसे रिकार्ड कर एक नये प्रयोग की शुरुवात हुई. यह मिलन ऑन लाईन लाईव ब्रॉडकास्ट किया गया भाई बिल्लोरे जी द्वारा:
फिर बैठे लाल और बवाल अपने पुराने चिरपरिचित डेरे पर. कुछ जुगल बंदियों का दौर चला, कुछ बीती बातें..जाने कितनी रात तक महफिल चलती रही. बवाल गाता रहा, लाल सुनाता रहा. बवाल ने गाया एक मुखड़ा लाल के लिखे गीत का. गाया तो और भी बहुत कुछ, मगर अभी रिकार्डिंग सिर्फ मुखड़े की उपलब्ध है, बाकी तो रोज होती ही रहेगी.
गीत पढ़िये और फिर बवाल से मुखड़ा सुनिये:
बहता दरिया है लफ़्ज़ों का,
तुम छंदों की कश्ती ले लो !
जब गीत कमल खिल जाएँ तब,
तुम भँवरों की मस्ती ले लो !!
टूटे-फूटे थे शब्द वहाँ,
फिर भी वो गीत रचा लाया !
कोई बहर-वहर की बात न थी,
फिर भी वो ग़ज़ल सजा लाया !!
------परिहासों की उस बस्ती का,
संजीदा हुक्म बजा लाया !!!
उसने सीखा खाकर ठोकर,
तुम सीख यहाँ यूँही ले लो
बहता दरिया है लफ़्ज़ों का,
तुम छंदों की कश्ती ले लो !
ये मज़हब-वज़हब की बातें,
आपस के रिश्ते तोड़ रहीं !
और सहन-शक्तियाँ भी अब तो,
दुनिया भर से मुँह मोड़ रहीं !!
------धर्मों के झूठे गुरुओं की,
तक़रीरें हृदय झंझोड़ रहीं !!!
या दाम चुका कर लो नफ़रत,
या दिल की प्रीत युँही ले लो
बहता दरिया है लफ़्ज़ों का,
तुम छंदों की कश्ती ले लो !
आदर्शों और बलिदानों की,
उसको तो रस्म निभानी है !
हाँ मातृ-मूमि पर न्यौछावर,
होने की वही जवानी है !!
------हृदयों को जिसने जीत लिया,
उसकी ही कोकिल बानी हैं !!!
दिन रोकर काटो या हँसकर,
जो चाहो रीत, यहीं ले लो
बहता दरिया है लफ़्ज़ों का,
तुम छंदों की कश्ती ले लो !
-समीर लाल ’समीर’
और इस तरह इस पोस्ट के साथ आज पूरा हुआ १००वीं पोस्ट का सिलसिला जो अनवरत जारी रहेगा.
आप सबके स्नेह का लाल और बवाल की तरफ से बहुत बहुत आभार.
21 टिप्पणियां:
हमने तो कल ही सुन लिया था। बहुत अच्छा लगा ये शतक । बहुत बहुत बधाई और शुभकामनायें।
वाह वाह समीर जी क्या खूब गीत लिखा है आपने।
बहता दरिया है लफ्जों का ....
एकदम सटीक। कटाक्ष की कड़वाहट को भी मिठास के साथ प्रस्तुत करना ही साहित्य है और आप दोनों की जुगलबंदी की यही विशेषता है।
और बवाल भाई की आवाज में तो गीत सज ही गया एकदम से। पूरा गीत रिकार्ड करवा कर सुनवाइए ना कभी। पिछले दिनों विविध भारती पर उनका एक गीत सुना था झनझन रुनझुन। जब रेडियो पर सुन रहे थे तभी लग रहा था कि ये तो बिल्कुल बवाल की आवाज है। बाद में किसी ने बताया कि ये बवाल भाई ने ही गाया है।
हम तो कल दशमेश द्वार में इंजीनियर अशोक दुबे जी के यहाँ शादी में आप को खोज भी रहे थे कि शायद आप भी आएंगे क्योंकि वो भी एम.पी.ई.बी. वाले हैं ना। लाल और बवाल की १०० वीं पोस्ट के लिए आपको बधाई।
कविता, गायन, वादन सभी बेहतरीन रहे. दरिया बहती रहे.
@शशिकान्त जी
आप हैं कहां?
मेरा फोन नम्बर ८८८९३७६९३७ है, इस पर फोन करिये.
१ तारीख को सभी ब्लॉगर बंधु शाम ७ बजे होटल सूर्या, बस स्टैंड के पीछे में मिल रहे हैं. आप सादर आमंत्रित हैं.
अशोक दुबे जी के यहाँ मैं पहुँच नहीं पाया.
खूब ही खूब।
छिपकलियां छिनाल नहीं होतीं, छिपती नहीं हैं, छिड़ती नहीं हैं छिपकलियां
वाह वाह लाजवाब रचना है. जोडीदार बहुत दिनों बाद रूबरू हो रहे हैं. क्या बात है बवाल भाई?
शतक की बधाई तो दे देता हूं पर आज ये पांचवीं शतक होनी चाहिये थी. यह मलाल है. आशा है आते साल यह ख्वाहिश पूरी जरूर करेंगे.
रामराम
धामाका वाह किलर झपाटा जी न आए अभी इधर वाह
बहता दरिया है लफ़्ज़ों का,
तुम छंदों की कश्ती ले लो
बहुत सुन्दर वाह भाई दिल जीत लिया..सुनकर तबियत खुश हो गई .. १०० वीं पोस्ट पर हार्दिक बधाई और अभिनन्दन ...
१०० वीं पोस्ट पर हार्दिक बधाई और अभिनन्दन ...
वाह वाह वाह !
क्या सुन्दर फ़ोटो लगाई है दोनो दोस्तो की लाल और बवाल। बहुत ही बढ़िया लगा आप दोनो को साथ देखकर। आपने मेरे कहने पर १०० वीं पोस्ट लिखी। यह ब्लाग हिस्ट्री में लिखा जाएगा। आप दोनो को किलर झपाटा का सलाम। गिरीश जी के साथ इंटरव्यू बहुत मजेदार था। कितनी भयंकर आवाज है भाई बवाल की। एकदम पहलवानी। ये भी रेस्टलर ही दिखते है मुझे तो। बहुत बहुत बधाई और थैक्यू बिकाज़ आपने मुझे सम्मान दिया।
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गीत लिखें लाल
गाते हैं बवाल
होता हैधमाल
सौवाँ है कमाल
-विजय तिवारी "किसलय "
sameer lal ji aur babaal ji ko mera pranaam //
sabhi bloggero ko jodne ka kaam bahut hi saraahniy hai
@ बवाल,
अरे वाह कविवर ,
बड़े दिन बहार आई ! धन्यवाद !
well done
well done . manish agrawal narsinghpur
99 pravisti par jab ye atka tha....
kisi bandhu ko ye bat khtka tha....
oosi sue pe hamne nigah rakhhi thi..
100 poore hone pa tippani likh di..
pranam to duo 'lal & babal'
बड़ा शानदार शतक है, जी, बवाल भाई!
हमें अपने दफ्तर में बैठे-बैठे लाल-बवाल मिल गए।
टूटे-फूटे थे शब्द वहाँ,
फिर भी वो गीत रचा लाया !
कोई बहर-वहर की बात न थी,
फिर भी वो ग़ज़ल सजा लाया !!
शुभकामनायें।
होली की बहुत बहुत शुभकामनाये आपका ब्लॉग बहुत ही सुन्दर है उतने ही सुन्दर आपके विचार है जो सोचने पर मजबूर करदेते है
कभी मेरे ब्लॉग पे भी पधारिये में निचे अपने लिंक दे रहा हु
धन्यवाद्
http://vangaydinesh.blogspot.com/
http://dineshpareek19.blogspot.com/
http://pareekofindia.blogspot.com/
मेरी लड़ाई Corruption के खिलाफ है आपके साथ के बिना अधूरी है आप सभी मेरे ब्लॉग को follow करके और follow कराके मेरी मिम्मत बढ़ाये, और मेरा साथ दे ..
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