क़त्ल का खुलकर के ऐसे, ज़िक्र क्यूँ करते हैं जी ? पैरवी वो कर रहे हैं ! फ़िक्र क्यूँ करते हैं जी ?? " कत्ल तो सरेआम हुआ है , जिक्र की कोई गुंजाईश ही कहाँ,कातिलों के हाथ ही पैरवी , फ़िक्र की अब आजमाइश है यहाँ ..."
सही कहा..फिक्र कैसी उन्हे जिनके पास पैरवी करने को सियासती नुमाइंदे हैं।
wah wah kya baat hai
कमाल का तंज है जी।
bindas bhai
सीधा तीर-कमाल का निशाना..है जी!!
Wah..wawah.............wa
wah...wah....wah...wah....wah.... wah....wah....wah...wah....wah....
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8 टिप्पणियां:
क़त्ल का खुलकर के ऐसे, ज़िक्र क्यूँ करते हैं जी ?
पैरवी वो कर रहे हैं ! फ़िक्र क्यूँ करते हैं जी ??
" कत्ल तो सरेआम हुआ है , जिक्र की कोई गुंजाईश ही कहाँ,
कातिलों के हाथ ही पैरवी , फ़िक्र की अब आजमाइश है यहाँ ..."
सही कहा..फिक्र कैसी उन्हे जिनके पास पैरवी करने को सियासती नुमाइंदे हैं।
wah wah kya baat hai
कमाल का तंज है जी।
bindas bhai
सीधा तीर-कमाल का निशाना..है जी!!
Wah..wa
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