सोमवार, 1 दिसंबर 2008

पैरवी-ऐ-क़त्ल ...........(सन्दर्भ : हाल की दुखद घटनाएँ)

क़त्ल का खुलकर के ऐसे, ज़िक्र क्यूँ करते हैं जी ?

पैरवी वो कर रहे हैं ! फ़िक्र क्यूँ करते हैं जी ??

---बवाल

8 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

क़त्ल का खुलकर के ऐसे, ज़िक्र क्यूँ करते हैं जी ?
पैरवी वो कर रहे हैं ! फ़िक्र क्यूँ करते हैं जी ??
" कत्ल तो सरेआम हुआ है , जिक्र की कोई गुंजाईश ही कहाँ,
कातिलों के हाथ ही पैरवी , फ़िक्र की अब आजमाइश है यहाँ ..."

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

सही कहा..फिक्र कैसी उन्हे जिनके पास पैरवी करने को सियासती नुमाइंदे हैं।

Doobe ji ने कहा…

wah wah kya baat hai

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

कमाल का तंज है जी।

समय चक्र ने कहा…

bindas bhai

Udan Tashtari ने कहा…

सीधा तीर-कमाल का निशाना..है जी!!

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

Wah..wa
wah.............wa

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

wah...wah....wah...wah....wah.... wah....wah....wah...wah....wah....