सना करें औ सलामियाँ हों , है सद्र शर्मिंदगी कहीं कुछ ?
फ़तह का सामाँ दिखा रहे हों, के टाटे-पैबंदगी सभी कुछ !!
--- समीर 'लाल 'और 'बवाल
शब्दार्थ :-
सना = स्तुति, वन्दना, प्रशंसा
सलामियाँ = गणतंत्र दिवस पर होने वाली परेड
सद्र = राष्ट्रपति और तमाम सियासतदाँ
फ़तह का सामाँ = हथियार, शस्त्र, विमान, टैंक, तोपें, मिसाइलें, असलहा
टाटे पैबंदगी = मख़्मल में टाट का पैबंद लगाना
भावार्थ :- सदियों से चले आ रहे आतंकवाद और तिस पर हालिया बम्बई (हमें मुम्बई कहना पसंद नहीं) की घटनाओं के बाद कुछ भी न कर पाने के बाद तो, गणतंत्र दिवस पर हमें तो बड़ी शर्म आ रही है परेड करते हुए। कैसे कहें, पराजित हिंद को जयहिंद ? बतलाइए ?
सोमवार, 26 जनवरी 2009
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21 टिप्पणियां:
पंडित जी
बहुत ही सटीक उम्दा पंक्तियाँ .
दूसरे अर्थो में फटे टांट में पैबंद तो जरुर लगाने ही पड़ते है
दुनिया का दस्तूर ये तो रिवाज बन गया है .
वाकई आज तो धूम मचा दी बबाल जी
वहां दूसरी और नेट पर डटे है लाल जी
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामना .
बवाल भाई, यह भी एक सलाम ही है, गणतंत्र को।
गणतंत्र की जय हो . आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं
शुभकामनाऐं.
बवाल भाई आपने हमारे दिल की बात कही. गजल और नज्म हमे समझ नही आती हम तो भावार्थ समझ लेते हैं. ऐसा लगा जैसे हमारे भाव को आपने शायरी मे कह दिया हो, बहुत धन्यवाद.
आपने लिखा कि आपको मुम्बई नही बम्बई अच्छा लगता ह्है. पर साहब हमको आपको सबको बम्बई अच्छा लगता हो पर ठाकरे दादा को लगता है ना.
कही बम्बई मे ये नाम निकल जाये और उनके पठ्ठे सुन ले तो क्या हाल करे? :)
रामराम.
गणतंत्र दिवस की आपको बहुत बहुत बधाई
बहुत सुंदर......गणतंत्र दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं।
रस्मादायगी तो फिर भी करनी है - मंगलमय हो गणतंत्र दिवस।
बहुत खूब याने बहुत ही खूब....वाह वा...
नीरज
गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाऐं.
बम्बई (हमें मुम्बई कहना पसंद नहीं)अजी हम भी बम्बई ही कहेगे.
धन्यवाद
हम थोड़े से असहमत हैं वकील साब इस बात से
नहीं , शेर या मतला तो जबरदस्त है.बस जो ये कहना चाह रहा है,उससे सहमत नहीं
बवालजी
अभिवंदन
एक शेर भी खलबली मचा सकता है,
चाहे वो जंगल का हो या भाई बवाल का हो...
ये आज पाठक समझ रहे होंगे.
लेकिन मैं आगे मौन ही रहूँगा ,
क्योंकि चुप रहना भी स्वीकृति होती है.
- विजय
" देश के प्रति आस्था और दर्द का सुंदर सम्मिश्रण ..."
Regards
अरे, हम कहाँ रहे अब तक भाई. कौन टाईप के हो यार.. बताते भी नहीं कि कुछ छापे हो.
बेहतरीन..झक्कास..एवं सन्नाट.
जिओ!!
हा हा बड़े भाई, जब आप कवरेज ऎरिया में रहेंगे तभी तो बता पाएँगे ना आपको। हा हा! अब तो छप गया अब कुछ नहीं हो सकता।
और ख़ुद के ही शेर पे कमेंट कर रहे हो ---बेहतरीन..झक्कास..एवं सन्नाट.
फ़ुरसतिया जी न देख लें कहीं हा हा।
आजकल खुद की पीठ थपथपाने का फैशन है बड्डॆ..वरना कवच धारण कर लो!! :)
BABAL KE KALAM KA KAMAL
BADHAI
हम देख लिये लेकिन कुछ कहेंगे नहीं। क्या फ़ायदा बवाल मचाने का!
BADE BHAI SAHAB NAMASTEY,
SABSE PAHALE TO AAPKO BADHAI DEDUN IS BEHATARIN SHER PE JAHAN DARD AUR PYAR DONO HI HAI DESH KE PRATI,BAHOT KHOOB LIKHA HAI AAPNE ...
BAS THODA SA BUSY CHAL RAHA THA MA VAISHNO DEVI KE YATRA PE GAYA THA ISLIYE KOI POST NAHI KARI BAHOT JALD HI KARUNGA ,AAJ SE HI AAPKO NEVTA DIYE JA RAHA HUN AANA TO PADEGA HI... HA HA HA ...
AAPKA
ARSH
kya baat hai ek hi sher main itne shabdarth
maan gaye
मैं आपके ब्लॉग का न्यू इंट्री नही पढ़ा पा रहा पता नही क्या प्रोब है बड़े भाई ......
परेशां
अर्श
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