रविवार, 22 मार्च 2009

वो खू़न बाक़ी बचा कहाँ अब ? ............(बवाल)

वो ख़ून बाक़ी बचा कहाँ अब ? जो इन रगों में बहा किया था
हमीं ने शायद बफ़ज़्ले-साक़ी, बवाल इनमें रवाँ दिया था
---बवाल
बफ़ज़्ले-साक़ी = पिलाने वाले की मेहरबानी से
बवाल = यहाँ शराब के लिए इस्तेमाल किया गया
रवाँ = प्रवाहित करना

28 टिप्‍पणियां:

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत खूबसूरत कहा आपने. एक शेर मे पूरा फ़लसफ़ा समेट दिया. शुभकामनाएं.

Vinay ने कहा…

अमाँ मियाँ, बहुत ख़ूबसूरत शेअर कहा है! आप तो हमारी दोस्ती भूल ही गये!

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चाँद, बादल और शाम
गुलाबी कोंपलें

MANVINDER BHIMBER ने कहा…

kuch shabdon mai baat kahne mai safal rahe aap...bahutkhoob

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बहुत मजबूत शेर है।
अपनी कमजोरी को स्मरण करना अपने आप में बहुत मजबूती है।

कडुवासच ने कहा…

उम्दा शेर!!!!

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

वो ख़ून बाक़ी बचा कहाँ अब ? जो इन रगों में बहा किया था
हमीं ने शायद बफ़ज़्ले-साक़ी, बवाल इनमें रवाँ दिया था......
बहूत खूब रही ,क्या बात है

seema gupta ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हरकीरत ' हीर' ने कहा…

बहुत खूबसूरत कहा आपने.....par ye-बफ़ज़्ले-साक़ी hai koun...

hmare blog pe sayad pehli bar aaye vakil sahab...koi kanooni karwai to nahi...???

seema gupta ने कहा…

वो ख़ून बाक़ी बचा कहाँ अब ? जो इन रगों में बहा किया था
हमीं ने शायद बफ़ज़्ले-साक़ी, बवाल इनमें रवाँ दिया था
" गहराई की गहनतम अभिव्यक्ति......"

Regards

Dr.Bhawna Kunwar ने कहा…

बहुत खूब...

रवीन्द्र प्रभात ने कहा…

उम्दा शेर,बहुत गहराई की अभिव्यक्ति..!

Vinay ने कहा…

अरे वायरस से परेशान हैं तो मुझे बताते! कौन-सा anti-virus लगा रखा है जो काम भी नहीं करता Eset Smart Security 4 चलाइए, अगर चाहिए तो मुझे बताइए डाउनलोड लिंक देता हूँ!

कंचन सिंह चौहान ने कहा…

khoooooob!

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत खूब

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

हमारे देश के शहीदों , और सैकडों मात्रभूमि भक्तों के स्मरण दिवस के अवसर पर आपका यह शेर निश्चित तौर पर बहुत अहमियत रखता है, आपके साथ मैं भी शहीदों का स्मरण कर रहा हूँ.
- विजय

राज भाटिय़ा ने कहा…

वो ख़ून बाक़ी बचा कहाँ अब ? जो इन रगों में बहा किया था
हमीं ने शायद बफ़ज़्ले-साक़ी, बवाल इनमें रवाँ दिया था
वाह वाह क्या बात है, जनाब
धन्यवाद

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

खूँ अभी बाक़ी है देखो गौर से
शांत है या जिगर का है कमाल
जब भी उबलेगा कि होगा रवां
मयक़दे में आएगा तब ही बवाल !!

Vivek Ranjan Shrivastava ने कहा…

post se bari to tippani hai , bhai wah !

Divya Narmada ने कहा…

बढ़िया शे'र... आपने मिलने का सन्देश दिया था. प्रतीक्षा कर रहा हूँ. दिव्यनर्मदा.ब्लागस्पाट.कॉम देखें, लिखें...जुडें...

Prem Farukhabadi ने कहा…

baewaal bhai,
kaabil e taareef. badhaai.

गौतम राजऋषि ने कहा…

वकील साब हम नत-मस्तक हैं इस अंदाजे-बयां पर

Arvind Mishra ने कहा…

वाह वाह मगर खून तो अब भी वही है न ? कि जिस खूं पर मुझे नाज था वो खूं नहीं रहा -दर्दे जिगर बवाल के अब काबिल नहीं रहा वाली बात हो गयी है ?-बवाल भाई बिलकुल भी ना संकोचायें दिल की बात हौले से कह डालें ! मैं हूँ ना -कोई इंतजाम विन्त्जाम किया ही जायेगा -समीर भाई भी आते ही होंगें उनसे भी इंशा अल्लाह मशविरा कर लिया जायेगा ! खून की बोतलों ,कोकोकोला बोतलों की कमी कहाँ है ! दिल छोटा ना करें -मायूस ना हों -बवाल मचाये रखें ! आमीन !!

Alpana Verma ने कहा…

ek sher mein kah di dastan aap ne..shayad isee liye 'bawaaal 'kahtey hain sab aap ko?

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

नवरात्र पर्व की आपको हार्दिक शुभकामना .

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

wah..wa

"अर्श" ने कहा…

BADE BHAAEE NAMASKAAR,
DER KYUN AAYA MAIN MUJHE KHUD HI PATA NAHI MUAAFI TO JARUR CHAHUNGA.... YE AAP IS TARAH SE BAWAAL KYUN MACHAA RAHE HO EK SHE'R PE SAARE DHER .... WAAH YAHI TO AAPKI PAHCHAAN HAI.... DHERO BADHAAEEYAN...

ARSH

RAJ SINH ने कहा…

AB SAMJHA KI 'USE' BAWAL KYOON KAHTE HAIN .YE BHEE KI MEREE RAGON ME BHEE VAHEE TABDEELEE HUYEE HAIGEE .
AUR SABSE BADH KE YE KI JAB VO SAR CHADH BOLTEE HAI TO HAM BAWAL KYOON KARTE HAIN . KYOON KI USKA BHEE NAAM 'BAWAL' HAI ?

JIYO AUR AISEE HEE MASTEE ME !

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

बहुत ही उम्दा शेर आपका..
बधाई..
एक लंगडी बहर वाली मुझसे भी सुन ही लें..
दूरियाँ कितनी है, अब क्या हिसाब दें
ख़ुद को लहू बना तेरी रगों में बहा दिया