चलिये, आज आपको मिलवाते हैं हम अपने प्रिय बवाल से. अनोखी प्रतिभा का धनी, विल्क्षण योग्यतायें, कभी सी ए बनने की तमन्ना लिए मेरे पास पढ़ने आता शर्मिला विद्यार्थी और आज मंच से मेरा ही नाम ऊँचा करता यह अद्भुत व्यक्ति...वाकई, गले लगाने योग्य बालक है. मेरा बहुत प्रिय. एक आवाज पर एक पैर पर खड़ा....कव्वाली से पांच साल तक दूरी रखने के बाद, देश के सबसे बेहतर कव्वाल लुकमान का वारिस,,,मेरे कहने पर पुनः कव्वाली की दुनिया में लौट कर चंद प्राईवेट महफिलों से फिर लाईम लाईट में लौट कर आ जाने की कला में पारांगत..वाह वाह, क्या कहने.
इस भारत यात्रा के दौरान मेरे द्वारा आयोजित एक प्राईवेट मेहफिल का आप भी आनन्द लें. कुछ तो आप मेरे ब्लॉग पर ले चुके हैं, कुछ यहाँ भी लें और इनका उत्साह बढ़ाये..निश्चित ही भविष्य में यह आपका मनोरंजन करते रहेंगे::
काँग्रेस और समाजवादी पार्टी की अंदाजे-मोहब्बत पर बद्र कितने वाजिब लगते हैं ! देखिये - मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला, अगर गले नहीं मिलता, तो हाथ भी न मिला !!
लालमदारी डुग-डुग लेकर, खेल दिखाने आता है ! खेल-खेल में बड़ी-बड़ी बातें, कर जाने आता है ! हाँ बतलाने, हाँ गिनवाने, हाँ मिलवाने आता है ! हिक़मत, हिम्मत, हैरत से हँस-रंग सजाने आता है !!
और इनकी आँखों के वास्ते "जोश" से --
ये बात, ये तबस्सुम, ये नाज़, ये निगाहें ! आख़िर तुम्हीं बताओ, क्यूँकर न तुमको चाहें ?