www.prakharhindu.blogspot.com ख़ैर 13 दिसम्बर पर विशेष में पढ़िए
.......जिस सत्ता को जनसाधारण के लिए विकासशील नीतियाँ बनाने का साधन होना चाहिए था, भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए एक माध्यम होना चाहिए था वह सत्ता स्वयम् ही साध्य हो गई।
इसके बाद तो भारतवर्ष के स्वार्थी नेता सत्ता रूपी वारंगना की सुगन्ध पाकर ही एक व्यभिचारी समान आचरण करने लग गए। कइयों के लिए संसद गन्तव्य हो गई तो कुछ ने विधान सभा को ही अपने जीवन का अन्तिम लक्ष्य मान लिया.....
12 टिप्पणियां:
बहुत उम्दा...जमाना करे न करे..हम तो किए ही देते हैं भई इस उम्दा शेर पर. :)
बेहतरीन...बवाल साहेब...और ये छोटे मियां कौन हैं? आप के साहिब जादे? जुग जुग जियें....माशाल्लाह बहुत खूब हैं...
नीरज
मिरे नाम पर वसीयत,
कर दे उसे ज़माना
"subhanallah" ye chote se pyare se sahabjade kaun hai je???
regards
बहुत पेच है जी इस में।
bahut hi joradaar panktiyan . chote ustaaj foto me chote babaal ji dikh rahe hai .
गाते रहें तराना , सच होगा ये फसाना .
लो मान गए हम तो, मानेगा ये जमाना ..
बहोत खूब बवाल साहब बहोत खूब लिखा आपने ढेरो बधाई स्वीकारें...
आभार
अर्श
बचपन में और अब में कोई अंतर नहीं आया
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ख़ैर 13 दिसम्बर पर विशेष में पढ़िए
.......जिस सत्ता को जनसाधारण के लिए विकासशील नीतियाँ बनाने का साधन होना चाहिए था, भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए एक माध्यम होना चाहिए था वह सत्ता स्वयम् ही साध्य हो गई।
इसके बाद तो भारतवर्ष के स्वार्थी नेता सत्ता रूपी वारंगना की सुगन्ध पाकर ही एक व्यभिचारी समान आचरण करने लग गए। कइयों के लिए संसद गन्तव्य हो गई तो कुछ ने विधान सभा को ही अपने जीवन का अन्तिम लक्ष्य मान लिया.....
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बेहतरीन बहुत खूब
गुल सारे खिल जायेंगे ,कुछ बहार आने तो दो
वसीयत बाद में तेरे नाम ,पहले ज़माने तो दो
जै जै आप की,
बहुत दिनों बाद दिखाई दिए,
खुशी हुई कि दिखे तो ...
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