शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

माटी की गागरिया................(बवाल)


दुपहरिया बीत चली,

पनघट पर रीत चली !

पनिहारिन फिर लौटी,

भर रस की सागरिया !

माटी की गागरिया !!


--- पद्मश्री पं. भवानी प्रसाद तिवारी

!!  हमारे उस्ताद लुक़्मान जी के भी उस्ताद और संस्कारधानी के प्रथम महापौर पद्मश्री पं. भवानी प्रसाद तिवारी की पुण्य जयंती १२ जनवरी पर उन्हें

शत् - शत् श्रद्धा-सुमन !!

और

!! आप सबको महाशिवरात्रि पर्व पर ढेर सारी शुभकामनाएँ !!


कचनार सिटी जबलपुर के ७६ फ़ीट ऊँचे शिवजी


भोला नई माने रे नई माने, मचल गए भंगिया (भाँग) पै

27 टिप्‍पणियां:

शशिकान्त ओझा ने कहा…

पंडितजी को हमारी भी श्रद्धांजलि बवाल भाई। क्या सुन्दर पंक्तिया हैं तस्वीर से मेल खाती हुई।
उनकी कालजयी रचना से रूबरू कराने के लिए आभार।
बम-बम भोले

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

...भर रस की सागरिया...
बहुत सुंदर प्रयोग है। इस ने इस रचना को शीर्ष पर रख दिया है।

Udan Tashtari ने कहा…

पंडित जी को भावभीनी श्रृद्धांजलि!

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

पंडित जी को भावभीनी श्रृद्धांजलि!

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

पंडितजी को सादर नमन.

रामराम.

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

behtreen..

बेनामी ने कहा…

क्या बात है बवाल जी,
एक गागर खाली कमर पर जा रही है और एक गागर भरी सर पर आ रही है शायद यह चित्र पंडित जी के इस गीत के इसी छंद के लिए बना है। कितना सुन्दर। बहुत ही उम्दा पोस्ट।

--- सरदार हरगोविंद सिंह बड़वाल (बहरीन)

Florine ने कहा…

ಇದು ಕವಿತ ಒದಿ ತುಂಬ ಹರ್ಶ ಆಈತು.

Lovely Gaikwad ने कहा…

A very nice poem with a beautiful painting. great and cute.

Lovely Gaikwad ने कहा…

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Lovely Gaikwad ने कहा…

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Mithilesh dubey ने कहा…

पण्डित जी को श्रद्धाजलि । कविता बहुत बहतरीन लगी ।

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

बवाल जी ,
नमस्कार
शिवरात्रि पर आपको सपरिवार शुभकामनाएँ.
स्वर्गीय पंडित भवानी प्रसाद तिवारी जी को हमारे भी श्रद्धा सुमन ..
आपने स गीत के माध्यम से
उनकी रचना धर्मिता के प्रति भी अपनी आस्था व्यक्त की है.
श्रद्धेय लुकमान चचा और आप से भी इस गीत को सिद्दत के गाते हुए देखा है.
आप जैसे इंसान ही अपनी हुनर और समर्पण के साथ स्वर्गीय तिवारी जी को अमर बनाये हुए हैं.
हम आपके भी आभारी हैं.

दुपहरिया बीत चली,
पनघट पर रीत चली !
पनिहारिन फिर लौटी,
भर रस की सागरिया !
माटी की गागरिया !!
दिल को छु जाती हैं ये पंक्तियाँ .
- विजय

समयचक्र ने कहा…

दुपहरिया में मैंने इस पनहारिन को गगरिया के साथ एन.एन.जे. चौक पर देखा था ..हा हा हा . महाशिवरात्रि की शुभकामना

समयचक्र ने कहा…

भोला नई माने रे मचल गए भंगिया (भाँग) पै...
अहा
हर हर महादेव
महाशिवरात्रि की शुभकामना.

राज भाटिय़ा ने कहा…

बवाल भाई, पंडितजी को हमारी भी श्रद्धांजलि , बहुत सुंदर रचना, आप से इस बार फ़ोन पर बात हुयी, लेकिन अगली बार आप से मिलना जरुर होगा, मै एक दो दिनो तक आप से फ़ोन पर बात करुंगा

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

Wah babal
sabakee pawati aa gain
ab batao bhajiye kaise the

अनूप शुक्ल ने कहा…

पंडित भवानी प्रसाद तिवारी जी के बारे में परसाईजी के लेख में पढ़ा है। सुन्दर पोस्ट!

दिगम्बर नासवा ने कहा…

पंडितजी को हमारी श्रद्धांजलि ..
सुंदर चित्र है .... पनिहारिन की गागरी और छलकता जल भांग से भी ज़्यादा नशा दे रहा है ...

Gyan Dutt Pandey ने कहा…

श्रद्धांजलि!

Prem Farukhabadi ने कहा…

पंडित जी को भावभीनी श्रृद्धांजलि!

RAJ SINH ने कहा…

पंडित जी को शत शत नमन और श्रद्धांजलि .
अब समझा आपकी उर्जा का श्रोत . हर हर महादेव . तरंगित आनंदित रहो बंधू !

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुंदर पोस्ट.

Satish Saxena ने कहा…

होली और मिलाद उन नबी की शुभकामनायें !

Gautam RK ने कहा…

पंडित जी को श्रृद्धांजलि!



"RAM"

RAJ SINH ने कहा…

yaar bada intezar karwate ho .aise main bhee is type ka gunhgar hoon !