जाने क्या वो लिख चले और, जाने क्या ये पढ़ चले ...?
हम-क़लम के हर्फ़े-आख़िर, दिल में पुरदम गड़ चले............
--- बवाल
हम-क़लम = एक जैसा और एक साथ लिखने वाले, मित्र (...., ....., .....)
हर्फ़े-आख़िर = अटल और अंतिम निर्णय, शब्द या बात व्यक्त करते हुए वर्णाक्षर
पुरदम = भर-ताक़त
रविवार, 16 मई 2010
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43 टिप्पणियां:
Wahwa....
Wahwa...
Wah....................
waah...
बवाल करने से बाज़ नहीं आओगे भैया ?
ग़ज़ब ढ़ा दिया आपने तो. एक शायरी उस दिन आपने बरगी डैम से लौटने पर भी कही थी. देखा ! मगर क्या देखा....? अभी तक याद है. और कैसे हैं? होप कि पेहचान गए होंगे... ही ही ही ही ही. फोन लगा रहा हूँ इत्ते दिनों से , लगता हीच नई.. आप ही कॉल कर लीजिये न..मुझे..
बहुत सटीक पोस्ट बहुत सटीक पोस्ट ..ऊपर जो टीप दी है शब्दों से पहचान लिया ....आभार
परशुराम जयंती पर हार्दिक शुभकामनाये ... ....आभार
परशुराम जयंती पर हार्दिक शुभकामनाये ...
अभे तक कित्ते रहे भैया ....
आपके ये एकाकी शे;र हमेशा ही झकझोर के रख देते हैं मुझे ... आप बवाल हो और हमेशा कमाल कर देते हो...
अर्श
बहुत उम्दा,एक लाइन ही गजब ढा गयी.
जिस बात को कहने के लिए लोगों ने पिछले तीन चार दिनों में पच्चीसों पोस्टें लिख डालीं और न जाने कितनी टिप्पणियों और चर्चाओं के द्वारा छिद्रान्वेषण किया गया वही बात बवाल भाई आपने महज एक शेर में कह डाली। एक बहुत बड़ा कटाक्ष सहज भाव और विनम्रता से प्रस्तुत करना ही तो आपकी विशेषता है। इस शेर के मर्म में बहुत कुछ है, समझने वाला ही आपके दर्द को समझ सकेगा। आदाब।
वाह वाह बवाल भाई
आज ऐसे ही आपकी साइट पर किलिक किया तो देख कर हैरानी में पड गया। क्या लिखते हो यार आप गजब करते हो। १२ मई की रात की वो महफिल भुलाए नहीं भूल पा रहा हूम जब आप और शेषादरी जी ने एक से एक बढ़कर गजलें पेश की और सवेरे के चार बजा दिये। होटल में सोच सोच कर ही करवटेम बदलता रहा। अगली बार आऊगा तो फिर से सुनाइएगा।
नमस्कार
वाह वाह बवाल भाई
आज ऐसे ही आपकी साइट पर किलिक किया तो देख कर हैरानी में पड गया। क्या लिखते हो यार आप गजब करते हो। १२ मई की रात की वो महफिल भुलाए नहीं भूल पा रहा हूम जब आप और शेषादरी जी ने एक से एक बढ़कर गजलें पेश की और सवेरे के चार बजा दिये। होटल में सोच सोच कर ही करवटेम बदलता रहा। अगली बार आऊगा तो फिर से सुनाइएगा।
नमस्कार
वाह वावल भाई जबाब नही बहुत सुंदर शेर कहा
वाह,वाह! जय हो! विजय हो! आखिर बवाल हो भैया!
इसी बहाने जागे तो...
पुरकस बवाल...बल्कि बोले तो पुरकश बवाल!!
गजब भैया गजब!
Bavaal Bhai,
What you wrote is really undifinable. Your approch is uncomparable. Hope you will come to UAE to perform with your highly woofer voice and beautiful gazals, some day. Never saw a lawyer in such a sweet mode. Have a nice time.
Yours.
Satpal Singh Bagga,
UAE
एक शेर में ही पूरी रामायण सुना दी, बहुत खूब !
बहुत दूर की बात कह दिया आपने
Bahut khoob ... kamaal ka sher hai .. andar tak utar jaata hai ...
bahoot khooob maj aa gya
सुंदर भाव लिए रचना |
आशा
बवाल मे भी कमाल? वाह बधाई
achchi lagi.
मजेदार ।
जो मैंनें लिख दिया और, वही उसने पढ़ लिया.....
मैंने क्या समझाया था और, वह क्या समझ गया ?..........
बस यही माया का खेल है।
बहुत अच्छे भई शबदो के अर्थ के साथ बातों को सरल तरीके से परोसा जा रहा हैं .
बहुत अच्छे भई शबदो के अर्थ के साथ बातों को सरल तरीके से परोसा जा रहा हैं .
तीन महीने हुये इसे लिखे!
WAH.......WAH ,
ऎ सोए हुए शेर, अब जागने का क्या लेंगे आप ?
ब्लॉगर पी.सी.गोदियाल ji ne sahi कहा… hai
एक शेर में ही पूरी रामायण सुना दी, बहुत खूब !
जन्मदिन पर बधाई और ढेरों शुभकामनाये..... भैय्या कछु आपका पता नहीं चलत है ... का बात है ...अब मिठाई खाने आ रहा हूँ ...
जन्मदिन पर बधाई और ढेरों शुभकामनाये.....
जन्मदिन पर बधाई और ढेरों शुभकामनाये.....
जन्मदिन पर बधाई और ढेरों शुभकामनाये.....
जन्मदिन पर बधाई और ढेरों शुभकामनाये.....
जन्मदिन पर बधाई और ढेरों शुभकामनाये.....
जन्मदिन पर बधाई और ढेरों शुभकामनाये.....
बवाल जी,
आरज़ू चाँद सी निखर जाए, ज़िंदगी रौशनी से भर जाए।
बारिशें हों वहाँ पे खुशियों की, जिस तरफ आपकी नज़र जाए।
जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।
………….
जिनके आने से बढ़ गई रौनक..
...एक बार फिरसे आभार व्यक्त करता हूँ।
उम्दा पोस्ट !!!
सुन्दर रचना आभार! आभार! वैसे ब्लॉग पर कमेन्ट देने का साफ़्टवेयर आ गया है, आप के पास तो पहले से है!
behad achcha ....zindagi aise hi maze se kat jayegi ...thanks a lot for this nice post.
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