रविवार, 13 जुलाई 2008

मोम के बाजू

माननीय अमरसिंह साहेब के अथक प्रयासों पर :-

उसे कह दो के ये ऊँचाइयाँ मुश्किल से मिलती हैं,
वो सूरज के सफ़र में मोम के बाज़ू लगाता है !
-राहत इन्दौरी

4 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत सही.

समयचक्र ने कहा…

bahut badhiya samayik .

seema gupta ने कहा…

"wah, bhut sunder"

बेनामी ने कहा…

bhut sundar. kya baat hai. jari rhe.