शुक्रवार, 7 नवंबर 2008

जता गए वो......

इधर को आकर जता गए वो,

उधर को रुख़ अब मना है बाबू !

वहीं है आबाद मेरी दुनिया,

तभी तो मुश्किल है दिल पे क़ाबू ?

----बवाल

11 टिप्‍पणियां:

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

बड़ा पेचीदा मामला है।

seema gupta ने कहा…

"duniya aabad bhee or dil mushkil mey bhee....???????'

Regards

पारुल "पुखराज" ने कहा…

waah!!

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत इधर उधर भी ठीक नहीं...मगर है बेहतरीन..वाह!!

समयचक्र ने कहा…

pandit ji bahut khoob apka rukh is samay kis or hai or is samay kahan abaad hai . ha ha . bahut khoobasoorat . badhai.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

भाई बहुत खूब...एक शेर याद आ गया:
"तर्क-ऐ-मय का इशारा जो करती हैं मुझे
लुत्फ़ ये है की उसी आँख में मयखाना है"
नीरज

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

लगे रहो बवालभाई
अच्छा है
सब सच्चा है

बाल भवन जबलपुर ने कहा…

सुंदर

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

इधर को आकर जता गए वो,
उधर को रुख़ करो बता गए वो
कैसे आबाद करुँ अपनी दुनिया ,
दिल है बेकाबू ,सता गए वो

समीर यादव ने कहा…

शुक्रिया....! आप तो दिल की जानिब चलो बवाल भाई...वहीं सुकून है...वहीं...काबू करने का अहले करम भी.

राकेश खंडेलवाल ने कहा…

एक पुराना शेर याद आ गया

नर्मी औ’ शाइस्तगी से पांव रकने की अदा
सीख लेळ शबनम के कतरे आपकी रफ़्तार से