सोमवार, 17 नवंबर 2008

नाज़िल हुआ यहाँ ........

जो शेर आसमान से, नाज़िल हुआ यहाँ !

उनकी ग़ज़ल में जा सजा, कामिल हुआ वहाँ !!

---बवाल

नाज़िल = उतरा
कामिल = सर्वांगपूर्ण, परिपूर्ण, पर्फ़ेक्ट

13 टिप्‍पणियां:

seema gupta ने कहा…

जो शेर आसमान से, नाज़िल हुआ यहाँ !
उनकी ग़ज़ल में जा सजा, कामिल हुआ वहाँ !!
" perfact, every thing should be placed in its proper place na... haha ha"

Regards

पारुल "पुखराज" ने कहा…

wah..kya baat hai!

विवेक सिंह ने कहा…

अरे वाह आपका ही है क्या ? बवाल काट दिया :)

"अर्श" ने कहा…

bahot khub kaha sahab aapne bahot khub....

अमिताभ मीत ने कहा…

कमाल है भाई ... बवाल है.. मस्त ! बहुत सुंदर.

समयचक्र ने कहा…

कमाल है भाई. .बहुत सुंदर..

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

लगे हाथ बता दो,
आसमाँ कहाँ से नाजिल हुआ?

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

sundertam...........wah

अनुपम अग्रवाल ने कहा…

महफ़िल में, सज के, मुकामिल होने लगे .
क्या शेर भी आसमां से नाजिल होने लगे ???..

नीरज गोस्वामी ने कहा…

बहुत खूब जनाब...वाह...
नीरज

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

आज कल मधुशाला पर बड़ा बवाल चल रहा है .आपको पता है न ? जरा संभल के .लेकिन मज़ा आ गया आपकी रचना पढ़ के .

बवाल ने कहा…

इस तरह की ग़ज़्ल को देखे हुए !
हमको भी अब तो ज़माना हो गया !!

क्या बात है अनुपम साहब ! किस अदा से इंतज़ार का ख़ात्मा किया सर. बहुत मज़ा आ गया सच. अहा !
आप कहते हो सीख रहा हूँ, छुपे रुस्तमों को भी कहीं सीखना पड़ता है ? कहिये ! हा हा !
आपका जज़्बा क़द्र के क़ाबिल है !

PREETI BARTHWAL ने कहा…

बहुत खूब कहा।