सोमवार, 24 नवंबर 2008

क़सीदे.....

आपकी तारीफ़ में, जब हम क़सीदे पढ़ चले !

तालियों के सिलसिले, तड़ तड़ तड़ा तड़ तड़ चले !!

---बवाल

क़सीदे = प्रशंसात्मक -पद्य या गीत

10 टिप्‍पणियां:

विवेक सिंह ने कहा…

ठीक ही तो है आप हमारी तारीफ करेंगे तो हम तालियाँ तो बजाएंगे ही अपनी तारीफ सुनकर :)

डॉ. मनोज मिश्र ने कहा…

बहुत खूब ,अच्छा लगा .

समयचक्र ने कहा…

बहुत खूब बबाल जी
तड तड तड लो भाई मैंने भी ताली बजाजी .

"अर्श" ने कहा…

आपकी तारीफ में क्या कसीदे पढ़े समझ नही आरहा है साहब... बहोत खूब लिखा है आपने...ढेरो बधाई

seema gupta ने कहा…

"kiske tareef, kiske ksede yhan to taleyon ka shor sunaee de rha hai, bhut lajvab abhevyktee.."

Regards

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी ने कहा…

:-)

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

पाँच तड़ पर पाँच टिपियाय
छठी :-)सातवें हम आय।

जरा इस टीपणी की मात्रा गिनना,
पूरी तो हैं ना?

नीरज गोस्वामी ने कहा…

सच कहा भाई जान....
नीरज

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) ने कहा…

आपकी तारीफ़ में, जब हम क़सीदे पढ़ चले !

thappadon के सिलसिले, तड़ तड़ तड़ा तड़ तड़ चले !!..........
yaar ab itnaa bhi bavaal naa karo naa....maathaa khraab hota hai....!!

neelam ने कहा…

aap to taaliyoon ko bhi shabd dete
hain ,bahoot khoob