बुधवार, 9 जुलाई 2008

सुनिये बवाल कव्वाल को: उड़न तश्तरी की महफिल में

चलिये, आज आपको मिलवाते हैं हम अपने प्रिय बवाल से. अनोखी प्रतिभा का धनी, विल्क्षण योग्यतायें, कभी सी ए बनने की तमन्ना लिए मेरे पास पढ़ने आता शर्मिला विद्यार्थी और आज मंच से मेरा ही नाम ऊँचा करता यह अद्भुत व्यक्ति...वाकई, गले लगाने योग्य बालक है. मेरा बहुत प्रिय. एक आवाज पर एक पैर पर खड़ा....कव्वाली से पांच साल तक दूरी रखने के बाद, देश के सबसे बेहतर कव्वाल लुकमान का वारिस,,,मेरे कहने पर पुनः कव्वाली की दुनिया में लौट कर चंद प्राईवेट महफिलों से फिर लाईम लाईट में लौट कर आ जाने की कला में पारांगत..वाह वाह, क्या कहने.

इस भारत यात्रा के दौरान मेरे द्वारा आयोजित एक प्राईवेट मेहफिल का आप भी आनन्द लें. कुछ तो आप मेरे ब्लॉग पर ले चुके हैं, कुछ यहाँ भी लें और इनका उत्साह बढ़ाये..निश्चित ही भविष्य में यह आपका मनोरंजन करते रहेंगे::





बताईयेगा जरुर, कैसा लगी यह पेशकश.

5 टिप्‍पणियां:

रवि रतलामी ने कहा…

ये कौन है जो अपने पाठकों को तौल रहा है
छटांक भर भर के कव्वाली के शेर दे रहा है

-- जबकि सेर सवा सेर भर मात्रा में अशआरों की दरकार है.

शानदार!

बेनामी ने कहा…

bhut badhiya.

Rakesh Kumar Singh ने कहा…

बहुत ख़ूब! आगे भी इंतज़ार रहेगा.

समयचक्र ने कहा…

bahut badhiya jari rakhe. shubhakamano ke sath.

Mahendra Mishra
Jabalpur.

बवाल ने कहा…

Mujhpe unkee nazar ho gayee !
Lo dua kargar ho gayee !!