रविवार, 28 सितंबर 2008

आदरणीय नीरज गोस्वामी जी की फ़रमाइश और यौमेदिल (ह्रदय दिवस) के मौके पर :

नीरज जी की फ़रमाइश पर : -

मेरे हमनफ़स मेरे हमनवा,
मुझे दोस्त बनके दगा़ ना दे !

मैं हूँ सोज़े-इश्क़ से जाँ-ब-लब,
मुझे जिंदगी की दुआ ना दे !!

-----शकील बदायुनी
हमनफ़स, हमनवा = मित्र , सखा
सोज़े-इश्क़ = मोहब्बत की आग
जाँ-ब-लब = मरणासन्न

यौमे-दिल (ह्रदय-दिवस) के अवसर पर :

अज़ल से गिरिफ़्तारपैदा हुआ है !
ये दिल क्या मज़ेदार पैदा हुआ है !!

---जुरअत
अज़ल = अनादिकाल

तो फिर --

दिलगिरिफ़्ता ही सही, बज़्म सजा ली जाए !
यादे-जाना से कोई, शाम न खाली जाए !!

---अहमद फ़राज़

दिल गिरिफ़्ता = उदास
यादे-जाना = प्रियतम की याद

4 टिप्‍पणियां:

महेन्द्र मिश्र ने कहा…

Dil Diwas par ati sundar . kripya dekhe
nirantar blog

badhaai.

अमिताभ मीत ने कहा…

काहे बवाल करते हैं साहब ?

"कमाल-ए-ज़ब्त-ए-मुहब्बत अरे म'आज़ अल्लाह
जुबां को जैसे कोई दिल से रस्म-ओ-राह नहीं"

Udan Tashtari ने कहा…

मौके पर उम्दा शेर..

seema gupta ने कहा…

"behtreen sher"

"ager kambakth ye dil na hota,kuch tutne ka bhee koee silsila na hota, na hee koee gazal bntee,
na do lafj likhne ka bhee hummey hausla hota"

Regards